November 21, 2024

हिरण्य निषाद

देखो देखो संगी बरसात आगे जी ।
सावन भादो के रात आगे जी ॥
रिमझिम रिमझिम पानी गिरे
पुरवइया नंगत झकोरे ।
मेचका झिगरा टोरटोर टोरे
ढोड़या असोड़या नाता जोरे ॥
कोलिहा बर संगी ताते तात साग भात
आगे जी ।
देखो देखो संगी बरसात आगे जी ॥
माते हे किसानी संगी बोआई रोपाई
बियासी ॥
बनिहार संग चले गौटनिन धरके
रोटी बासी ॥
नंघरिया के नांगर थिरक गे घसत
हे मुखारी ।
नाघरिया ह भोग लगावे पावे
कृष्ण मुरारी ॥
पुरुस ले कम नइहे छत्तिसगढ़ के नारी ।
बराबर के मेहनत करथे सेवा करथे भारी ॥
सुघघर लहरावे अन्न माता सबला ल भावत हाबे जी ।
देखो देखो संगी बरसात आगे जी ॥

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