November 21, 2024

उथल-पुथल है जहां में…

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उथल-पुथल है जहां में, जिन्दगी घबरा रही है|
हकीकत से रूबरू हो, सुनामी आ रही है ||

कुछ कमी-कमी सी है, बुझा-बुझा दिख रहा है |
अरे चांद को तो देखो, हर वक्त कट रहा है ||

हुकूमतें हैं घुटनों पर, बस एड़ी रगड़ रहीं हैं|
करोना के एक झटके से, हवाएँ मचल रहीं हैं ||

जिन्दगी में क्या जरूरी था, और तुमने क्या दिया?
चन्द रोज़ की बंदिशों ने, आइना दिखा दिया ||

एहसान फरामोशों को, सजा पाना जरूरी है |
कुदरत की रहमतों पर, सिर झुकाना जरूरी है ||

सुप्रभात
डॉ प्रेमकुमार पाण्डेय
केन्द्रीय विद्यालय बीएमवाय चरोदा भिलाई
9826561819

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