दिन की तासीर
दिन की तासीर
सर्द है कल शाम से
सूरज को…
भिगोया है बादलों ने
और दूर शायद ..
रुई के फाहों ने
समेटा है पहाड़ों को
कि कुछ बर्फीली सी हवा
तीर की मानिंद चुभती है,
तेरी दी शॉल में भी
गर्माहट कुछ
कम होने लगी है…
ऊन पुरानी हुई या कि,
रिश्ते ठंडे पड़ गए।
कुछ हुआ तो है
इस बार सर्दी ,
यादों के अलाव तले
गुज़र जाए तो ठीक…
वरना सर्द रातों में
बेजान रूहें
अखबार के रोज़ के किस्से!
निरझा सरिता
#nirjhramusings #दिसंबर