लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की कविताएँ
मृत्यु जब मेरे सिरहाने खड़ी होगी…
जब किसी दिन मृत्यु मेरे सिरहाने खड़ी होगी
मुझे वास्तव में डरा रही होगी
अपने साथ ले जाने के लिए उतावली होगी
उससे मैं कुछ पल जीवन जीने के लिए मागूँगा
अपनी कविताओं को सुनाने की मृत्यु से
मैं फरियाद करूँगा
रात-रात भर जाग कर जो मैंने कहानियाँ लिखी हैं
उन कहानियों में मानवीय संवेदना और मूल्यों को
पढ़ने में पाठकों को दिखी हैं
ऐसी एकाध कहानी मृत्यु को
मैं पढ़कर सुनाऊँगा
व्यथित जनों की पुकार
शोषण और इंसान पर हो रहे अत्याचार
धन दौलत से मनुष्य में हो रहा अहंकार
ऐसी कई बातों को बताऊँगा
अपनी आधी अधूरी प्रकाशित होने वाली
कृति को दिखाऊँगा
साहित्यकारों का साहित्य के प्रति
निष्ठा और समर्पण मृत्यु को समझाऊँगा…
अभी और जीवित रहने की मेरी है मजबूरी
अभी हमें जिंदगी से न बनाना है दूरी
उसके हृदय को प्रेम की सुंदर कविताओं
को सुना कर पिघलाऊँगा
मेरे सृजन किए गए साहित्य का महत्व
जब मृत्यु के समझ में आएगा
उसे लगेगा कि अभी मेरा जीवित रहना
वास्तव में बहुत जरूरी है
मुझसे निश्चित प्रसन्न हो जाएगा
और मुझे विश्वास और मन में आस है कि मृत्यु
मेरे आधे-अधूरे सृजन को पूरा करने के लिए
मुझे कुछ वर्षों के लिए जीवित छोड़ कर लौट जाएगा…
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मौलिक एवं अप्रकाशित
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कविता में संभावना…
मुरझाए चेहरे पर जब आ जाए मुस्कान,
टूटे दिलों में फिर से आ जाए जान
मानवता को अपनाए जब इंसान
हरियाली में जब बदल जाए रेगिस्तान
सच में कविता ऐसा ही करती अनुसंधान…
घुप्प अंधेरे में जब दिखे प्रकाश
नई राह दिखे, जब हम हो निराश
कुरीतियों का जब हो जाए सर्वनाश
हृदय में हो आनंद और हो उल्लास
सच में कविता से होते हैं हमें ऐसे एहसास…
हम सीख जाएं सभ्यता और संस्कार
हमारा सबके साथ हो सुंदर और मृदु व्यवहार
शोषण और अन्नाय का जम कर करे प्रतिकार
शब्द जब दिलों-दिमाग पर करे हथौड़े सा प्रहार
मानवता का जब समूचे विश्व में हो विस्तार
सच में कविता की ऐसी होती है धार…
किसी के दुःख-दर्द में हम काम आएं
इंसानियत का हम कर्तव्य निभाएं
सद्मार्ग पर हम आगे बढ़ते जाएं
धैर्य और साहस से अवरोधों से पार पाएं
व्यथित और दुःखीजनों के साथ खड़े हो जाएं
जीवन में हम नित नई सफलता लाएं
सच में कविता से हम ऐसा सबकुछ कर जाएं…
खुद पर जब होने लगे हमें विश्वास
जीवन मूल्यों का हम न होने दें ह्रास
हम भी अच्छा इंसान बन जाते काश!
हम सतत दौड़ते रहें, भले ही टूट रही हो सांस
सपनों को पूरे होने की मन में जगी हो आस
हमारे अहंकार का हो जाता है नाश
जीवन में खुशहाली का होने लगे आभास
सच में कविता दिखने लगती, हमें अपने आसपास…
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मौलिक एवं अप्रकाशित
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रमई काका और राघोमल…
सीधा और सरल इंसान होना भी
आज के भौतिकवादी युग में अभिशाप है
धूर्ततावादी इस काल में ऐसा मनुष्य
सच में हो जाता निराश है
और यदि कहीं ऐसा मनुष्य अनपढ़ हो तो
जीवन निर्वाह होना मुश्किल है
हमारे घर काम करने वाले ऐसे रमई काका थे
वास्तव में बहुत सीधे और ईमानदार थे
और इसका फायदा हमारे कस्बे का
राघोमल साहूकार उठाता था
भोलीभाली जनता के गरीबी को वह अपना
सूद पर रुपये दे शिकार बनाता था
सूद पर रुपये देकर जमीन गिरवी रखवाता था
अक्सर गरीब लोग मुश्किल में पड़कर
उससे सूद पर रुपये लेते थे
जो मूल के साथ कभी न वापिस होते थे
रमई काका ने अपनी बिटिया की शादी के लिए
साहूकार से रुपए सूद पर लिए
अपनी जमीन भी उसे गिरवी रख दिए
वर्षों तक काका सूद देते रहे
पर मूल को कौन कहे सूद भी न कभी पूरा न दे पाए
अंत में साहूकार ने गिरवी रखे दो बिस्वा जमीन
की रजिस्ट्री अपने नाम करा लिया
इतना ही नहीं अनपढ़ होने की वजह से
दो बिस्वे की जगह दो बीघे जमीन
साहूकार ने अपने नाम बैनामा करा लिया
और अगले ही दिन पूरे दो बीघे जमीन पर
साहूकार ने कब्जा कर लिया
रमई काका बहुत गिड़गिड़ाए
पैर पर पड़ गए
पर राघोमल का दिल न पसीजा
रोते हुए आए और हम लोगों से पूरी बात बताए
जिसने भी सुना उसने राघोमल को कोसा
उसे गाली भी परोसा
हमारे पिता ने रमई को भरोसा दिलाया
कचेहरी में दीवानी मुकदमा करवाया
चार साल तक पिता जी ने अपने पैसों से
साहूकार के खिलाफ मुकदमा लड़ाया
अंत में फैसला रमई काका के हक में करवाया
सच में सीधा सरल होना एक अभिशाप है
जीवन जीने को करता निराश है…
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मौलिक एवं अप्रकाशित
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मेरी उक्त सभी कविताएँ मौलिक एवं अप्रकाशित हैं।
सादर
लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव
ग्राम-कैतहा, पोस्ट-भवानीपुर
जिला-बस्ती 272124 (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 7355309428
【साहित्यिक परिचय】
नाम– लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव
पिता–स्व. श्री अमर नाथ लाल श्रीवास्तव
माता–स्व. श्रीमती लीला श्रीवास्तव
स्थायी पता–ग्राम-कैतहा, पोस्ट-भवानीपुर, जिला-बस्ती
272124 (उत्तर प्रदेश)
शिक्षा–बी. एससी., बी. एड., एल. एल बी., बी टी सी.
(शिक्षक, साहित्यकार व सामाजिक कार्यकर्ता)
व्यवसाय– शिक्षण कार्य
सामाजिक कार्य-
सचिव–जॉगर्स क्लब बस्ती (अवैतनिक)
सदस्य–प्रगतिशील लेखक संघ-बस्ती
लेखन की विधा–कविता/कहानी/लघुकथा/लेख/व्यंग्य/बाल साहित्य
मोबाइल 7355309428
ईमेल laldevendra204@gmail.com
प्रकाशन–
पत्रिका– (अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय)
छत्तीसगढ़ मित्र, भाषा, अक्षरा, संवाद, साहित्य अमृत, सरस्वती सुमन, मुद्राराक्षस उवाच, हरिगंधा, वीणा, पॉवर ऑफ वन, छत्तीसगढ़ स्पेक्ट्रम, प्रगतिशील साहित्य, साहित्य परिक्रमा, सेतु, नव निकष, संवदिया, सर्वभाषा, अभिनव प्रयास, चाणक्य वार्ता, आलोक पर्व, साहित्य समय, नेपथ्य, हिंदुस्तानी ज़बान, दूसरा मत, साहित्य सरोज, चंद्रदीप्ति, हिंदुस्तानी युवा, आत्मदृष्टि, साहित्य संस्कार, प्रणाम पर्यटन, लोकतंत्र की बुनियाद, सत्य की मशाल, क्षितिज के पार, आरोह अवरोह, यथार्थ, उजाला मासिक, संगिनी, सृजन महोत्सव, साहित्य समीर दस्तक, सुरभि सलोनी, अरुणोदय, हॉटलाइन, फर्स्ट न्यूज़, गुर्जर राष्ट्रवीणा, कर्मनिष्ठा, नया साहित्य निबंध, शब्द शिल्पी, साहित्य कलश, कर्तव्य चक्र, हॉटलाइन, देव चेतना, प्रकृति दर्शन, टेंशन फ्री, द इंडियन व्यू, साहित्य वाटिका, गोलकोण्डा दर्पण, अपना शहर, पंखुड़ी, अविरल प्रवाह, ध्रुव निश्चय वार्ता, कला यात्रा, आर्ष क्रांति, कर्म श्री, मधुराक्षर, साहित्यनामा, सोच-विचार, भाग्य दर्पण, सुबह की धूप, अरण्य वाणी, नव किरण, तेजस, अक्षय गौरव, प्रेरणा-अंशु, साहित्यञ्जली प्रभा, कविताम्बरा, मरु-नवकिरण, संपर्क भाषा भारती, सोशल संवाद, राष्ट्र-समर्पण, रचना उत्सव, मुस्कान-एक एहसास, साहित्यनामा (द फेस ऑफ इंडिया), खुशबू मेरे देश की, माही संदेश पत्रिका, हिंदी की गूँज, पुरुरवा, समर सलिल, सच की दस्तक, रजत पथ, द अंडर लाइन, जगमग दीपज्योति, साझी विरासत, आदित्य संस्कृति, इंडियन आइडल, साहित्य कुंज, सृजनोन्मुख, सोशल संवाद, समयानुकूल, अनुभव, परिवर्तन, चिकीर्षा, मानवी, सहचर, राष्ट्र समर्पण, प्रतिध्वनि, शबरी, शालिनी, विश्वकर्मा वैदिक समाज, कौमुदी, साहित्यरंगा, साहित्य सुषमा, काव्य प्रहर, काव्यांजलि कुसुम, संगम सवेरा, हिंदी ज्ञान-गंगा, एक कदम, संगम सवेरा, स्वर्णाक्षरा काव्य धारा, अविचल प्रभा, काव्य कलश, नव साहित्य त्रिवेणी, भावांकुर, अवसर, पृथक, तमकुही राज, विचार वीथिका, लक्ष्य भेद, साहित्य अर्पण, सुवासित, तेजस, युवा सृजन, जय विजय, जयदीप, नया गगन आदि पत्रिकाओं में 400 से कविताएँ, कहानियाँ व लघुकथाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं और सतत प्रकाशित हो रही हैं।
बाल साहित्य (पत्रिका एवं समाचार पत्र)–अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय
अक्षरा, साहित्य अमृत, सोच विचार, देवपुत्र, बाल किलकारी, उजाला मासिक, बच्चों का देश, चिरैया, बच्चों की प्यारी बगिया, आलोकपर्व, बाल किरण, बचपन, किलोल, चहल पहल, पायस, नटखट चीनू, बाल मंथन, प्रेरणा-अंशु, कला यात्रा, माही संदेश, खुशबू मेरे देश की, सृजन महोत्सव, साहित्य अर्पण, भावांकुर, तेजस, नव त्रिवेणी साहित्य, साहित्य उदय, रजत पथ, जिज्ञासा, हरिभूमि, पंजाब केसरी, जनवाणी, दैनिक नवज्योति, विजय दर्पण टाइम्स, हम हिंदुस्तानी, लोकोत्तर, बाल पत्रिकाओं में 100 से अधिक बाल कविताएँ प्रकाशित हो चुकी हैं व लगातार प्रकाशित हो रही हैं।
समाचार पत्र–(अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय)
(साप्ताहिक समाचार पत्र)
हिंदी एब्रॉड (कनाडा), हम हिंदुस्तानी यूएसए (अमेरिका व ऑस्ट्रेलिया), सत्य चक्र, आकोदिया सम्राट, निर्झर टाइम्स, हिलव्यू समाचार, रविपथ, कोलकाता सारांश, भदैनी मिरर, स्वैच्छिक दुनिया, अमर तनाव, शाश्वत सृजन, प्रिय पाठक, देवभूमि समाचार, बलिया एक्सप्रेस,
सच की तोप, घूँघट की बगावत, राइजिंग बिहार, मार्गोदय।
(दैनिक समाचार पत्र)
विजय दर्पण टाइम्स, प्रभात खबर, पंजाब केसरी, लोकोत्तर, हरियाणा प्रदीप, प्रभात दस्तक, दैनिक जनकर्म, दैनिक किरण दूत, दैनिक क्रांतिकारी संकेत, नवीन कदम, राष्ट्रीय नवाचार, मयूर संवाद, प्रखर पूर्वांचल, दैनिक अश्वघोष, दैनिक युगपक्ष, दैनिक स्वर्ण आभा, कर्म कसौटी, डॉटला एक्सप्रेस, दिन प्रतिदिन, इंदौर समाचार, दैनिक नव ज्योति, घटती घटना, श्री राम एक्सप्रेस, दैनिक संपर्क क्रांति, स्टार समाचार, द वूमेन एक्सप्रेस, दैनिक कर्मदाता, दैनिक इमोशन, आप अभी तक, दैनिक अयोध्या टाइम्स, बिंदू प्रकाश, वेलकम इंडिया, जनमत की पुकार, युग जागरण, पुष्पांजलि टुडे, सहजसत्ता, हमारा मेट्रो, आधुनिक राजस्थान, स्वतंत्र दस्तक, गर्वित भारत, एक्शन इंडिया, अक्षर विश्व, अग्निवर्षा, दिव्य हिमगिरि, लोकसदन, उज्जैन सांदीपनि, संजीवनी समाचार, तरुण प्रवाह, विनय उजाला आदि साप्ताहिक व दैनिक समाचार पत्रों में 500 से ज़्यादा कविताएँ, कहानियाँ व लघुकथाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं व लगातार प्रकाशित हो रही हैं।
काव्य संग्रह—
(साँझा काव्य संकलन)
“साहित्य सरोवर”, “काव्यांजलि”, “बंधन प्रेम का” “अभिजना”, “अभीति”, “काव्य सरोवर”, “निभा”, “काव्य सुरभि”, “अभिजना”, “पिता,”कलरव वीथिका” “इन्नर”, “आयाति”, “नव किरण”, “चमकते कलमकार”, “मातृभूमि के वीर पुरोधा”, “रंग दे बसंती”, “शब्दों के पथिक”, “कलम के संग-कोरोना से जंग” प्रकाशित व लगभग छह साँझा काव्य संकलन, एक लघुकथा साँझा संकलन प्रकाशनाधीन।
(एकल काव्य संग्रह)–
1- “मृत्यु को पछाड़ दूँगा” (काव्य संग्रह – प्रकाशनाधीन)
2- “वो सुबह तो आएगी” (काव्य संग्रह – प्रकाशनाधीन)
3- “सूरज की नई जमीन” (कहानी संग्रह – प्रकाशनाधीन)
बाल कविता संग्रह–
1- “प्यारा भारत देश हमारा” (प्रकाशित)
2- “बच्चे मन के सच्चे” (प्रकाशनाधीन)
संचालन-
“नव किरण साहित्य साधना मंच” बस्ती (उत्तर प्रदेश)
सम्मान– राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित कलमकार मंच द्वारा आयोजित प्रतिष्ठित 2019-20 के ‘कलमकार पुरस्कार’ में तृतीय स्थान के लिए चयनित, “साहित्य सरोवर”, साहित्य साधक अलंकार सम्मान-2019, “काव्य भागीरथ सम्मान”, “अभिजना साहित्य सम्मान”, “अभीति साहित्य सम्मान”, “मधुशाला काव्य सम्मान”, “वीणा वादिनी सम्मान-2020″, ” काव्य श्री सम्मान-2020″, “काव्य सागर सम्मान” सहित तीन दर्जनों से अधिक साहित्यिक सम्मान व प्रशस्ति पत्र व कई सामाजिक संस्थाओं व संगठन द्वारा सम्मानित।
संपादन–
(पत्रिका)
1- “नव किरण” मासिक ई-पत्रिका का संपादन।
2- “बाल किरण” मासिक ई-पत्रिका का संपादन।
3- “तेजस” मासिक ई-पत्रिका का सह-संपादन।
(पुस्तक)
1- राष्ट्रीय साझा काव्य संकलन–
“नव किरण”, “नव सृजन” व “सच हुए सपने” का संपादन।
2- एकल काव्य संग्रह–
“प्रेम पीताम्बरी”, “दरख़्त की छांव”, “अनूठे मोती”, “जीवन धारा”, “अनुभूति-1”, “अनुभूति-2,” व “देहरी धरे दीप” का संपादन।
3- एकल कहानी संग्रह- “प्रेम-अंजलि” का संपादन।