छत्तीसगढ़ी भावानुवाद किताब ‘मोर मयारू गीत’ का विमोचन भारतेंदु साहित्य समिति, बिलासपुर के सुधी साहित्यकारों के द्वारा किया गया
भारतेंदु साहित्य समिति का स्थापना दिवस व बसन्तोत्सव
स्वर साम्राज्ञी, भारत रत्न लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि अर्पित
बिलासपुर नगर की प्रतिष्ठित साहित्य संस्था भारतेंदु साहित्य समिति के स्थापना दिवस समारोह का आयोजन रेशम अनुसंधान संस्थान, रमतला बिलासपुर में हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार केशव शुक्ला एवं अध्यक्षता छत्तीसगढ़ी के सुपरिचित कवि सनत तिवारी ने की इस अवसर पर रायगढ़ के युवा साहित्यकार आनंद सिंघनपुरी द्वारा राष्ट्रीय स्तर के बाल साहित्यकार स्व. शंभूलाल शर्मा ‘वसंत’ के ‘मेरे प्रिय बालगीत’ से संकलित का छत्तीसगढ़ी अनुवादित पुस्तिका ‘मोर मयारू गीत’का विमोचन किया गया। कवियों ने यहां गीत और स्वर के बीच अद्भुत समन्वय का प्रतीक ‘स्वर कोकिला’, ‘भारत रत्न’ लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि अर्पित की।
मुख्य अतिथि श्री शुक्ला ने भारतेंदु साहित्य समिति को बिलासपुर की साहित्यिक गतिविधियों का स्वर्णिम आधार बताया। उन्होंने समिति के संस्थापक बाबू प्यारेलाल गुप्त, पंडित सरयू प्रसाद त्रिपाठी मधुकर एवं द्वारिका प्रसाद विप्र जी को याद करते हुए साहित्य के क्षेत्र में उनके अद्वितीय योगदानों का स्मरण कराया। विमोचन के अवसर पर युवा कवि आनंद को बधाई देते हुए वरिष्ठ ग़ज़लगो केवल कृष्ण पाठक एवं विजय तिवारी द्वारा समिति की ओर से उनका शाल और श्रीफल से स्वागत किया गया।
काव्य गोष्ठी में कवि रेखराम साहू ने प्रकृति प्रेम प्रिय मधुर पुकार, मनोहर दास मानिकपुरी ने मैं रहिथो गंवाई गांव म् मोर नाव हे गंवईहा, मयंक मणि दुबे ने मन सागर है आंख मरु है, सेवकराम साहू ने दाई-ददा ने मया दुलार, अशर्फीलाल ने कछुए जैसी चाल है तेरी शीर्षक से व्यंग्य रचना पढ़ी। जबकि सत्येंद्र तिवारी ने ज्ञान की महिमा सर्वत्र है अपार, आनंद सिंघनपुरी ने रे मानव चल, राघवेंद्र दुबे ने हमर जिनगी में बसंत कब आहि ग, विनय पाठक ने जिन्हें समझे थे हम कांटे वो ढाल हो गया, अमृतलाल पाठक ने यह बसंत बहार है हम साथ हैं, केवल कृष्ण पाठक ने कुछ उजाले मेरे दिल में भी जलाओ आकर, ऋतुराज बसंत पांडेय ने बसंतराज और सनत तिवारी ने ऋतुबसन्त आगे रे एवं रमेशचंद्र सोनी, विजय गुप्ता, एनके शुक्ला, विजय तिवारी, भास्कर मिश्र ने कविता पढ़ी। कवियित्री उषा तिवारी ने ये गीत है समर्पित मधुमास के लिए, द्रोपती साहू ने आया मधुमित बसंत, आशा चंद्राकर ने हे माँ शारदे कविता पढ़ी। वहीं हरवंश शुक्ल ने लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि देते हुए शब्द का श्रृंगार हो, वीणा की झंकार हो गीत गाकर सुनाया।तथा कार्यक्रम का संयोजन विनय पाठक व कार्यकम का संचालन हरवंश शुक्ला व नितेश पाटकर ने सुचारू रूप से किया।