आ जाओ हे प्रियतम…
आ जाओ हे प्रियतम, तुम लेकर सुंदर मन।
अब कोई नही मेरा, तुम ही हो जीवन-धन।
1
तुमसा न लगे कोई, प्यारा इस अग-जग में
तुमसा न मिला कोई, अबतक जीवन-मग में
आ जाओ ऐ साथी, ये है सूखा जीवन।
2
अब कौन यहाँ जग में, जो साथ चले मेरे
अबतो व्याधाओ ने, डाले चहुंदिश घेरे
आकर प्रियतम कर दो, ये मन चंदन-चंदन।
3
सूखा-सूखा जीवन, तरसे है अब जल को
आजाओ पास मेरे, केवल कुछ ही पल को
बरसो मन-बगिया पर, बनकर बरसाती घन।
4
अब तरस गईं आंखे, अब और न तरसाओ
मेरी तन-बगिया के, फिर माली बन जाओ
ये नैन जुड़ा लूँ फिर, हो जाये शीतल मन।
5
इस तन की चाहत तुम, कर दो पूरी इच्छा
ये प्रवल प्रेम का ही, है इक अनुपम हिस्सा
आ जाओ तुम मुझ तक, मेरे अनुरागी बन।
महेश सक्सेना
ग़ाज़ियाबाद, 7042574700