वनवासी
रहइया आय परवत-घाटी के
सनइया ए चिखला-माटी के
धनुष-बान धरे बरछा-भाला
पहिने लोहा-पीतल के माला
थोरहे पाके बड़ भागी मानय
दू बखत के खवइया बासी ए
धरती दाई के जतन करइया
नॉव जेकर वनवासी हे |
नानकुन कुरिया,खदर छानी
सिधवा हे मनखे गुरतुर बानी
कई किसम के गहना-गुरिया
पहिरय गोंड़,बैगा अउ मुरिया
पगड़ी म बाँधे मंजूर पाँख ल
खोंचाय रहिथे फूल काशी हे
धरती दाई के जतन करइया
नॉव जेकर वनवासी हे |
मचान बनाये रुख डार म
कुंदरा हावय झरना पार म
लइका -सियान,नर- नारी
बघवा-भलुवा के सँगवारी
घनघोर डोंगरी के भीतरी
बीतय जेकर बारो मासी हे
धरती दाई के जतन करइया
नॉव जेकर वनवासी हे |
डोंगा खेवइया पतवार जइसे
संस्कृति के रखवार ए तइसे
कछु जानय दपट – दाँव नही
कभू देखे लछमी के पाँव नही
आँसू के घलोक घूँट पियइया
सिसकी कभू अल्हड़ हाँसी हे
धरती दाई के जतन करइया
नॉव जेकर वनवासी हे |
शशिभूषण स्नेही
बिलाईगढ़ (कैथा)