समय नहीं है दानी
प्रभु प्रेम बरसता ऐसे
जैसे बादल से पानी
कोयल की कूक सुनो तो
बोलो मीठी वाणी |
खुशबू बिखराती हवा चले तो
बन जाती कोई प्रेम कहानी
जी लो जीवन थोड़ा है
घृणा मे मत करना दानी |
सूरज की किरणों का धरती पर आना
प्रेम नहीं तो क्या है, बोलो ज्ञानी
जो मिला हुआ है, उसे स्वीकार करो
इतना समय नहीं है दानी |
प्रदीप गौतम सुमन
रीवा मध्य प्रदेश