अनुपस्थिति
तुम नहीं हो मगर तुम्हारी तस्वीरें है बेशुमार
मेरे इस एक बित्ते से मोबाइल में
तुम्हारी अनुपस्थिति में रात के तीसरे पहर
किताबों के पन्ने पलटते, थकहार
जब भी नींद के आगोश में जाती हूँ
बाँये हाथ की करवट ले
दिल को थोड़ा दबा
दाहिना हाथ मोबाइल पर धर
सुकून से सो जाती हूँ
क्योंकि मोबाइल उस वक्त
फ़क़त मोबाइल नहीं
सीना रहता है तुम्हारा…
– अनिला राखेचा