ग़ज़ल
चाहत बहुत, पुरानी अपनी।
इतनी राम, कहानी अपनी।।
इन सपनों का, राजा अपना।
औ सपनों की, रानी अपनी।।
सौ रंगों की, बूटे वाली ।
चूनर धानी – धानी अपनी।।
ताजी सुबह, रोज मिलती है।
सोंधी शाम, सुहानी अपनी।।
बापू अपने, भइया अपना।
अम्मा दादी, नानी अपनी।।
रातें अपनी दिन अपना है, ।
मन अपना, मनमानी अपनी।।
हंसी ठिठोली, धमा-चौकड़ी।
ठनगन औ , नादानी अपनी।।
ताल – तलैया, नदी बगीचे।
सब राहें , पहचानी अपनी।।
कु.पूजा दुबे सागर