November 21, 2024

हिंदी ग़ज़ल : सब कुछ तेरा…

0

हिंदी ग़ज़ल : सब कुछ तेरा…

हवाएं तेरी, शहर तेरा, मंजिल तेरी,
पर ख़्वाब सारे मेरे होंगे ।

फिजाएं तेरी, चमन तेरा, साहिल तेरी,
पर गुलाब सारे मेरे होंगे ।।

कुबूल होने का इंतजार उम्र भर रहेगा,
दुआओं में मांग चुके हम तुम्हें ।

दुआएं तेरी, दर्पण तेरा, दास्तां ए दिल तेरी,
इश्क़ ए किताब सारे मेरे होंगे ।

ये तो फ़क़त देखते ही हो जाता है मुझको,
इश्क़ की कौन सी दवा बनाओगे ।

दवाएं तेरी, दर्द तेरा, दरिया दिल तेरी,
दरिया ए आब सारे मेरे होंगे ।

वर्षों से पड़ा पत्थर भी पिघलना चाहता है,
बस अब तुम्हें छूने की जरूरत है ।

घटाएं तेरी, बादल तेरा, बरसात तेरी,
पर सैलाब सारे मेरे होंगे ।

देवदास की जिंदगी अब तो बहुत हुआ,
आओ मांग सजा दूं तुम्हारी ।

सभाएं तेरी, सरगम तेरा, शहनाई तेरी,
बरातों का महताब सारे मेरे होंगे ।

“ध्यान को आने दो…” हिंदी कविता
****************************

मैंने खोल रखा है द्वार श्रद्धा की…,
ध्यान को आने दो ।
मैंने खोल रखा है दरबार भावना की…,
ज्ञान को आने दो ।।

मैंने बना रखा है सरकार उत्सव को…,
आनन्द को आने दो ।
मैंने बना रखा है चौकीदार सब को…,
परमानन्द को आने दो ।।

मैंने पाल रखा है कर्तव्य को…,
निश्चय को आने दो ।
मैंने सम्भाल रखा है हिमालय को…,
प्रलय को आने दो ।।

मैंने खोल रखा है द्वार श्रद्धा की…,
ध्यान को आने दो ।
मैंने खोल रखा है दरबार भावना की…,
ज्ञान को आने दो ।।

मैंने जोड़ रखा है तार सांसों का…,
मोक्ष को आने दो ।
मैंने तोड़ रखा है संसार अहसास का…,
मुक्त को आने दो ।।

मैंने तोड़ दिया है रिश्ता दिल का…,
महसूस को आने दो ।
मैंने छोड़ दिया है फरिश्ता मंजिल का…,
रूह को आने दो ।।

मैने खोल रखा है द्वार श्रद्धा की…,
ध्यान को आने दो ।
मैंने खोल रखा है दरबार भावना की…,
ज्ञान को आने दो ।।।।।

स्वरचित एवं मौलिक
मनोज शाह ‘मानस’
सुदर्शन पार्क,
नई दिल्ली-110015
मो.नं.7982510985
manoj22shah@gmail.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *