हिंदी ग़ज़ल : सब कुछ तेरा…
हिंदी ग़ज़ल : सब कुछ तेरा…
हवाएं तेरी, शहर तेरा, मंजिल तेरी,
पर ख़्वाब सारे मेरे होंगे ।
फिजाएं तेरी, चमन तेरा, साहिल तेरी,
पर गुलाब सारे मेरे होंगे ।।
कुबूल होने का इंतजार उम्र भर रहेगा,
दुआओं में मांग चुके हम तुम्हें ।
दुआएं तेरी, दर्पण तेरा, दास्तां ए दिल तेरी,
इश्क़ ए किताब सारे मेरे होंगे ।
ये तो फ़क़त देखते ही हो जाता है मुझको,
इश्क़ की कौन सी दवा बनाओगे ।
दवाएं तेरी, दर्द तेरा, दरिया दिल तेरी,
दरिया ए आब सारे मेरे होंगे ।
वर्षों से पड़ा पत्थर भी पिघलना चाहता है,
बस अब तुम्हें छूने की जरूरत है ।
घटाएं तेरी, बादल तेरा, बरसात तेरी,
पर सैलाब सारे मेरे होंगे ।
देवदास की जिंदगी अब तो बहुत हुआ,
आओ मांग सजा दूं तुम्हारी ।
सभाएं तेरी, सरगम तेरा, शहनाई तेरी,
बरातों का महताब सारे मेरे होंगे ।
“ध्यान को आने दो…” हिंदी कविता
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मैंने खोल रखा है द्वार श्रद्धा की…,
ध्यान को आने दो ।
मैंने खोल रखा है दरबार भावना की…,
ज्ञान को आने दो ।।
मैंने बना रखा है सरकार उत्सव को…,
आनन्द को आने दो ।
मैंने बना रखा है चौकीदार सब को…,
परमानन्द को आने दो ।।
मैंने पाल रखा है कर्तव्य को…,
निश्चय को आने दो ।
मैंने सम्भाल रखा है हिमालय को…,
प्रलय को आने दो ।।
मैंने खोल रखा है द्वार श्रद्धा की…,
ध्यान को आने दो ।
मैंने खोल रखा है दरबार भावना की…,
ज्ञान को आने दो ।।
मैंने जोड़ रखा है तार सांसों का…,
मोक्ष को आने दो ।
मैंने तोड़ रखा है संसार अहसास का…,
मुक्त को आने दो ।।
मैंने तोड़ दिया है रिश्ता दिल का…,
महसूस को आने दो ।
मैंने छोड़ दिया है फरिश्ता मंजिल का…,
रूह को आने दो ।।
मैने खोल रखा है द्वार श्रद्धा की…,
ध्यान को आने दो ।
मैंने खोल रखा है दरबार भावना की…,
ज्ञान को आने दो ।।।।।
स्वरचित एवं मौलिक
मनोज शाह ‘मानस’
सुदर्शन पार्क,
नई दिल्ली-110015
मो.नं.7982510985
manoj22shah@gmail.com