” छूकर तुमको आई ये पुरवाई”
रूह में बसी मुहब्बत,
महक फ़िज़ा में,
आती तुमसे होकर,
छूकर तुमको
ये पुरवाई।
महसूस कराती,
इश्क़ की रंगत,
छितरे आसमा पर
लाल,सुनहरे,नीले बादल,
आँखों में तस्वीर,
इश्क़िया समाई।
छूकर तुमको
आई ये पुरवाई।
प्रेम संदेशा,पाकर तुम्हारा,
झूमी मैं इठलाई।
फूलों सी खिल-खिल
मैं मुस्काई।
छूकर तुमको,
आई ये पुरवाई।
दीपा साहू “प्रकृति”
तिल्दा -रायपुर (छत्तीसगढ़)