April 18, 2025
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यदि मुझे काजल लगाना पड़े तुम्हारे लिए,

बालों और चेहरे पर लगाना पड़े रंग ,

तन पर छिड़कना पड़े सुगंध,

सबसे सुन्दर साड़ी यदि पहननी पड़े,

सिर्फ तुम देखोगे इसलिए माला चूड़ी पहनकर सजना पड़े,

यदि पेट के निचले हिस्से के मेद,

यदि गले या आँखों के किनारे की झुर्रियों को कायदे से छुपाना पड़े,

तो तुम्हारे साथ है और कुछ, प्रेम नहीं है मेरा |

प्रेम है अगर तो जो कुछ है बेतरतीब मेरा

या कुछ कमी, या कुछ भूल ही, रहे असुन्दर, सामने खड़ी हो जाऊँगी,

तुम प्यार करोगे |

किसने कहा कि प्रेम खूब सहज है, चाहने मात्र से हो जाता है !

इतने जो पुरुष देखती हूँ चारों ओर, कहाँ, प्रेमी तो नहीं देख पाती !!

व्यस्तता
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मैंने तुम्हारा विश्वास किया था, जो कुछ भी था मेरा सब दिया था,

जो कुछ भी अर्जन-उपार्जन !

अब देखो ना भिखारी की तरह कैसे बैठी रहती हूँ!

कोई पीछे मुड़कर नहीं देखता।

तुम्हारे पास देखने का समय क्यों होगा! कितने तरह के काम हैं तुम्हारे पास!

आजकल तो व्यस्तता भी बढ़ गई है बहुत।

उस दिन मैंने देखा वह प्यार

न जाने किसे देने में बहुत व्यस्त थे तुम

जो तुम्हें मैंने दिया था।

आँख
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सिर्फ़ चुंबन चुंबन चुंबन

इतना चूमना क्यों चाहते हो?

क्या प्रेम में पड़ते ही चूमना होता है!

बिना चुंबन के प्रेम नहीं होता?

शरीर स्पर्श किये बिना प्रेम नहीं होता?

सामने बैठो,

चुपचाप बैठते हैं चलो,

बिना कुछ भी कहे चलो,

बेआवाज़ चलो,

सिर्फ़ आँखों की ओर देखकर चलो,

देखो प्रेम होता है कि नहीं!

आँखें जितना बोल सकती हैं, मुँह क्या उसका तनिक भी बोल सकता है!

आँखें जितना प्रेम समझती हैं, उतना क्या शरीर का अन्य कोई भी अंग समझता है!

– इंद्रा राठौर के फेसबुक से

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