डा संजीव कुमार की प्रबंध काव्य “भानुमती” का लोकार्पण
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भूले बिसरे पौराणिक चरित्रों पर शोध और न्याय ज़रूरी- डा संजीव कुमार
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डा संजीव कुमार की सद्य: प्रकाशित प्रबंध काव्य “भानुमती” का लोकार्पण सर्वश्री प्रताप सहगल, प्रेम जनमेजय. लालित्य ललित, नासिरा शर्मा, हरिहर झा (आस्ट्रेलिया), दिव्या माथुर, (यूके),रणविजय राव एवं प्रो राजेश कुमार (कार्यक्रम निदेशक) के कर कमलों से हुआ।
अतिथियों का स्वागत डा लालित्य ललित ने किया।तदुपरांत पुस्तक पर सुदीर्घ मनोविश्लेषणात्मक चर्चा हुई जिसमें नासिरा शर्मा, शशि सहगल , मेधा झा, गीतू गर्ग, गरिमा दुबे, दुर्गा सिन्हा आदि ने भाग लिया ॥
परिचर्चा में डा संजीव कुमार के १०० पुस्तकों का लेखक बनने पर बधाई भी दी और सराहना भीकी।
प्रताप सहगल ने कहा कि डा संजीव अपने शोधपरक कार्यों से साहित्य मे नयी चेतना भर रहे ह
श़शि सहगल ने डा संजीव के काव्य मे
पौराणिक चरित्रों के साथ न्याय करने की कोशिश को सराहा।
उन्होंने माधवी और अश्मा की विशेषताओं का भी उल्लेख किया
लालित्य ललित ने कहा कि डा संजीव पौराणिक कथाओं एवं चरित्रों पर कार्य करने वाले एकमात्र कवि हैं।
प्रेम जनमेजय ने कहा कि डा संजीव की हर किताब मे सशक्त भूमिका होती हैं जो उनकी कृति के उद्देश्य को स्पष्ट करती है ।
प्रो राजेश कुमार ने कुछ संकेत दिये कि कतिपय स्थानों पर और अधिक काम कि जा सकता था ।
डा दुर्गा सिन्हा ने कहा कि डा संजीव की कल्पनाशीलता व भावात्मक अभिव्यक्ति से पौराणिक पात्र पुनः सजीव हो उठे तथा उनमें आधुनिकता का संदेश भी घुल गया ।
विशिष्ट वक्ताओं ने कृति के भाव पक्ष तथा भाषा शैली पर विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया ।
कार्यक्रम में डा मनोरमा, राजेश्वरी. सोनू, शकुंतला, कामिनी, अनीता जोशी, गरिमा आदि उपस्थित रहे
कार्यक्रम का संचालन सीमा चड्ढा ने किया और आभार व्यक्त किया रणविजय राव ने ॥