नानाजी पद्मश्री के पी सक्सेना को श्रद्धांजलि
( 9वीं पुण्य तिथि )
🌹🌹यादें 🌹🌹
सन 2012 की बात है तब विवाहोपरांत मैं अमेरिका में रहा करती थी, लखनऊ छुट्टियों में आयी हुई थी और इंदिरा नगर स्थित उनके आवास पर मिलने गयी थी l मेरे वापिस आते समय वो कुछ भावुक से हो गए थे , जैसे गला भर आया हो और कुछ नम सी आँखें l उन्होंने छोटे बच्चे की भांति मुझे चिपका लिया और एक पुस्तक भेंट करी थी ,तब ये नहीं सोचा था ये आखिरी मुलाक़ात होगी …पर उन्हें शायद कुछ आभास हो गया था और मुझसे कहा था ‘तुमसे मिलने के लिए ही जीवित था बस ‘…न जाने ये क्यों कहा था, क्या सोचकर कहा था ,तब ये बहुत विचित्र लगा था मुझे l उस दिन उनके चेहरे पर कुछ अलग ही भाव थे ,एक अबूझ सी पहेली जैसे … और अगले ही वर्ष 31.10.2013 को वे सदा के लिए हमें छोड़कर चके गए l
घर के सब बच्चों में सबसे बड़ी थी मैं और उन्हें मुझसे विशेष स्नेह था l मेरे जन्म के समय अस्पताल में नए कपड़े लेकर पहुंचे थे और नानी के मना करने पर भी कि नवजात शिशु को पुराना ही वस्त्र पहनाते हैं पहले ,,एक नहीं सुनी थी, “कि हमेशा
नया और अच्छा ही पहनेगी” l स्कूल से लौटती थी तो छतरी लिए गेट पर इंतज़ार करते रहते थे कि तनिक भी धुप ना लग जाए मुझे ;ऐसा स्नेह हमारे दादा नाना के अतिरिक्त और कौन कर सकता है संसार में …
मेरे विवाह वाले दिन ख़ुशी से उनके हाँथ काँप रहे थे ठीक वैसे जैसे मुझे प्रथम बार गोद में उठाते समय, माँ बताती है l
कहने को बहुत कुछ है पर स्मृतिओं के विशाल सागर को शब्दों की सीमा में बाँध नहीं पाऊंगी ,शेष फिर कभी …
आज भी ये विश्वास करना कठिन है कि वे अब यहाँ नहीं हैं ;फिर अगले ही पल खुद को समझा लेती हूँ कि कहीं किसी दुनिया में तो हैं ही …बस वहां वो सुखी रहे और मुझे आशीष दें और हाँ अंत में एक विशेष बात एक बार सपने में देखा था ;मुझ पर कुछ नाराज़ से दिखे थे ,बोले कि “इतना याद मत किया करो कष्ट होता है ,खुश रहो इसी में मुझे सुकून है अब .”..तब से सुनिश्चित किया था कि अब रोकर याद नहीं करूंगी l
व्यंग्य ,पटकथा व संवाद लेखन ,रेडियो नाटक ,रंगमंच , कहानी ,धारावाहिक आदि विविध साहित्यिक विधाओं में अपनी अनन्य प्रतिभा का परिचय देने वाले लखनऊ की शान अत्यंत सरल , स्नेहमयी दिव्यात्मा को शत शत नमन l
The Loss is Immeasurable but so is the love left behind .Always on my mind and forever in our hearts 🙏🙏🙏🌹🌹
नेहा वर्तिका
कवयित्री -लेखिका
नातिन पद्मश्री के.पी सक्सेना
31.10.2022