तुम ये न स्वीकारोगे…
तुम ये न स्वीकारोगे ?
कि इश्वर प्रदत्त कुछ नही
पहले ईश्वर मुस्कुराते थे!
अब नाराज दिखते है।
मेरे ईश्वर ने मुझे बनाया
तुम्हारे ईश्वर ने तुम्हे
पर कैसे? जरा ये बताओ…
हम दोनो तो एक से दिखते
मन के विचारो ने मिट्टी रौंदा
जो बन गया ईश्वर
और कोई ईश्वर किताबों में रह गया
और इस तरह..
आगे और स्वरूप बदले जाएंगे
पता नही ईश्वर कहा जायेंगे।
माया साहू