समीक्षा नहीं, एक दर्शक की प्रतिक्रिया, नाटक ‘सम्राट अशोक’ मंच पर
विनोद रस्तोगी जन्मशती वर्ष के अवसर पर संस्कृति मंत्रालय नई दिल्ली के सहयोग से विनोद रस्तोगी स्मृति संस्थान द्वारा आयोजित चार दिवसीय नाट्य महोत्सव 2022 में इस वर्ष विनोद रस्तोगी लिखित और अजय मुखर्जी द्वारा निर्देशित नाटक भागीरथ के बेटे गिरीश कर्नाड द्वारा लिखित बालेंद्र सिंह द्वारा निर्देशित भोपाल हम थिएटर की प्रस्तुति ययाति प्रांगण पटना की प्रस्तुति अरुण सिन्हा के लिखे और अभय सिन्हा द्वारा निर्देशित नाटक फूल नौटंकी विलास के बाद 19 नवंबर को नाट्य महोत्सव में सुप्रसिद्ध नाटककार दया प्रकाश सिन्हा द्वारा लिखित और चितरंजन त्रिपाठी द्वारा निर्देशित नाटक सम्राट अशोक की गोरखपुर की लोकप्रिय संस्था दर्पण ने शानदार प्रस्तुति की उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के सभागार में यह नाटक लगभग ढाई घंटे तक दर्शकों को मंत्रमुग्ध किए रहा सभी कलाकारों ने बहुत अच्छा अभिनय किया संगीत पक्ष भी ऐसा था जो नाटक की गति को संतुलित किए हुए था सम्राट अशोक वर्तमान समय के सबसे शक्तिशाली और प्रासंगिक नाटकों में से एक है बताया गया कि यह नाटक मनो राजनीतिक थ्रिलर होने के नाते यह जटिल मानव प्रकृति के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालता है इसमें अहंकारी होने से लेकर महत्वाकांक्षी होने तक मानवीय जीवन की एक बड़ी संखला को दर्शाया गया है सम्राट अशोक हीन भावना से पीड़ित एक व्यक्ति और बौद्ध मुक्ति की ओर उसकी अशांत यात्रा की कहानी है ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर नाटक की सुंदरता वास्तविक जीवन का वर्तमान जीवन से इसकी कनेक्टिविटी में निहित है राहुल देव चंदेल ने सम्राट अशोक की भूमिका को बहुत अच्छे से मंच पर जिया नाटक के अन्य कलाकार भी इस नाटक में अपनी अभिनय क्षमता का सर्वोत्तम देने में सफल हुए नाटक के कुछ दृश्य बेहद प्रभावशाली रहे इस प्रस्तुति को दर्पण की पूरी टीम का शानदार सहयोग मिला और नाटक ऐसे ही सहयोग के चलते अपना असर बना पाते हैं भाई चितरंजन त्रिपाठी को बहुत-बहुत बधाई विनोद रस्तोगी संस्थान का भी बहुत-बहुत आभार जिसने इलाहाबाद के दर्शकों को इतनी शानदार प्रस्तुति देखने का अवसर दिया कुछ दर्शकों का यह मानना था कि यह नाटक लंबा होने के कारण कुछ बाबू हो चला था लेकिन यह बात सच नहीं है नाटक लंबा होने के बावजूद दर्शकों को बांधे रहा यह एक अलग बात है कि इसे यथा आवश्यकता छोटा किया जा सकता है उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के भरपूर असहयोग और धन्यवाद जी की प्रवृत्ति के बावजूद अगर इलाहाबाद के और बाहर से आए रंगकर्मी इतना अच्छा नाटक कर ले रहे हैं तो हमें यही मानना चाहिए की रंगकर्म के अभी बुरे दिन नहीं आए हैं और रंग कर्मियों का उत्साह बदस्तूर बना हुआ है सभी रंग कर्मियों को शुभकामनाएं।
अजामिल