माधुरी मुस्कान (गजलें)
बेटियाँ
बेटियाँ घर की सुहानी भोर है
अब उजाला देख लो चहुँओर है ।।
पीर सहके भी नहीं कुछ बोलती
झेलती सुख दुख नहीं कमजोर है ।।
छू रही नभ के सितारे देखिए
हौसले गाथा बुनी हर छोर है ।।
सींचती है शाख पत्तों को सभी
थाम रखती प्रेम बंधन डोर है ।।
है महामाया सुखों की खानियाँ
बेटियाँ होती सदा तमचोर है ।।
मोम की गुड़िया नहीं है बेटियाँ
शेरनी अनुपम तिरोहित शोर है ।।
गर्भ से चीत्कार करती बेटियाँ
मार मत वह भाग्य शीतल छोर है ।।
वीरता रग-रग बसी है खून में
देश हित सीमा खड़ी सिरमोर है ।।
*माधुरी डड़सेना*”मुदिता”