पाठकीयता के गहराते संकट के बीच किसी कृति की यह उपलब्धि गहरा सकून देती है …
हिन्दी आलोचना की समकालीन धारा को अपने मौलिक चिन्तन और प्रखर दृष्टि से समृद्ध कर रहे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के यशस्वी प्रोफेसर , मित्रवर कमलानंद झा आज 21 नवम्बर 2022 को हमारे एम.एल.एस.एम. कॉलेज (दरभंगा) के हिन्दी विभाग में पधारे तो लगा जैसे चढ़ते शिशिर के बीच वसंत का आगमन हो गया है । वाणी प्रकाशन , नयी दिल्ली से प्रकाशित अपनी चर्चित पुस्तक ‘ तुलसीदास का काव्य-विवेक और मर्यादाबोध ‘ भेंटकर उन्होंने स्नेहपाश में बाँध लिया । बहुत दिनों से इच्छा थी इस पुस्तक को पढ़ने की पर उपलब्ध नहीं हो पा रही थी । अंततः कमलानंद जी से ही अनुरोध किया और आज पुस्तक भेंटकर उन्होंने यह साध पूरी कर दी । इस कृति का पहला संस्करण समाप्त हो चुका है और अब दूसरा संस्करण निकलने जा रहा है । पाठकीयता के गहराते संकट के बीच किसी कृति की यह उपलब्धि गहरा सकून देती है ।
कमलानंद जी की शालीनता और विनम्रता उनकी विद्वत्ता की आभा को द्विगुणित कर देती है । उनके व्यक्तित्व की यह सम्मोहक विशिष्टता आज भी हम सबको अभिभूत कर गई । वे आए तो साहित्य की कल-कल , छल-छल करती धारा इस तरह प्रवाहित होने लगी कि लगा जैसे समय ठहर गया है । हमारे विभागाध्यक्ष डॉ. अमरकांत कुमर और विभागीय मित्र डॉ. तीर्थनाथ मिश्र , डॉ. कैलाशनाथ मिश्र एवं डॉ. रामचन्द्र सिंह ‘ चन्द्रेश ‘ भी उस पावन धारा में निमज्जित होते रहे ।