जयंती-२१ दिसम्बर- छत्तीसगढ़ के गांधी-पं. सुंदरलाल शर्मा जी
छत्तीसगढ़ के गौरव, माटीपुत्र, कवि,लेखक,स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, समाज सुधारक, इतिहासकार, जननेता,चित्रकार के रूप म अपन पहचान बनइया ,जेकर जम्मो जीवन यापन मातृभूमि अउ मातृभाषा के सेवा-जतन बर निछावर हो गे। अइसन गुनिक रिहिन हमर जबर कारयित्री प्रतिभा के धनी पंडित सुंदरलाल शर्मा जी। जेकर मातृभूमि बर काम ही ओकर असली पहिचान आय। जेला जम्मो देश भर म छत्तीसगढ़ के गांधी य गान्धीजी के गुरु के नाम ले जानथे मानथे।
जीवन परिचय–
शर्मा जी के जन्म 21 दिसंबर 1881 के पंडित जयलाल तिवारी कांकेर रियासत के विधि सलाहकार अउ माताजी देवमती देवी के घर राजिम के तीर म बसे महानदी के कोरा म गांव चमसुर म बड़े जागीरदार के घर होइस। इंकर पहली पढ़ई प्राथमिक शाला थ रिहिन फेर बाकी पढ़ई ल घरे म करिन अउ संस्कृत, बंगला,उड़िया, गुजराती, मराठी, उर्दू,अंग्रेजी के घलो ग्यान पाइन। पिताजी संगीत के जानकार शौकीनहा रहय,घर म अब्बड़ पत्रिका आय केसरी, मराठा जेकर ले ओकर सोचे-बिचारे के समता बाढ़े लागिस।
लेखन काम–
शर्मा जी हिन्दी भासा के संगे संग छत्तीसगढ़ी म घलो लिखे। जवनहा पन ले संस्कारी परिवार के छाप लेखन कौशल ल दिखे लगिस। कविता,लेख, नाटक के साथ सामाजिक कुरीति मन म मिटाय बर अउ शिक्षा के प्रचार-प्रसार बर अब्बड़ जोर देवत कुल 18 ठन ग्रंथ के रचना करेव,जेमे छत्तीसगढ़ी दानलीला सबले जादा नामी हे। छत्तीसगढ़ी म दुलरुवा पत्रिका अउ हिन्दी म कृष्ण जन्मस्थान पत्रिका ल जेल म रहिके 18 पेज के हस्तलिखित रूप म निकाले के भाग हे।
परमुख रचना–
खंडकाव्य-छत्तीसगढ़ी दानलीला, राजिम प्रेमपीयुष,काव्यमृवाशिनी,करुणा पच्चीसी, एडवर्ड राज्याभिषेक, विक्टोरिया बियोग,कंस वध।
नाटक-सीता परिणय,पार्वती परिणय,प्रहलाद चरित्र, ध्रुव आख्यान,विक्रम शशिकला।
उपन्यास-श्रीकृष्ण जन्म आख्यान, सच्चा सरदार
अप्रकाशित संग्रह-राजिमस्त्रोत्रम महात्म्य,स्फुट पद्ध संग्रह,स्वीकृति भजन संग्रह,रघुराज भजन संग्रह,प्रलाप पदावली,ब्राम्हण गीतावली,छत्तीसगढ़ी रामायण ।
छ.ग.के सपना देखइया–
आप ल अलग छत्तीसगढ़ राज्य के पहिली स्वप्नद्रष्टा अउ संकल्पनाकार कहे जाथे। अपन मातृभूमि के जीवन भर सेवा करत अंचल म एक प्रेरणा के खूंटा सही दमदम ले खड़े रहिके छत्तीसगढ़ के जम्मो स्वतंत्रता आंदोलन म अगवा बनके रेहेंव। छत्तीसगढ़ के भोला-भला जनता मन के किस्मत म सिजोय बर अपन जीवन ल खपा देव। आपके काम के परताप के कारण आज छत्तीसगढ़ राज ल बने 19 बसर होगे। अब कहूँ ऊपर ले अपन राज के सपना पूरा होय देख सुंदरलाल शर्मा जी के जरूर अब्बड़ खुश होत होही।
परमुख आंदोलन–
शर्मा जी के भरोसा म घाते अकन आंदोलन छत्तीसगढ़ म चलिन। अपन सामाजिक चेतना के स्वर ल घरों-घर लेजे बर अब्बड़ नीक बुता करे हवय। स्वदेशी आंदोलन, आदिवासी आंदोलन, राषटीय कृषक आंदोलन, मद्वनिषेद आंदोलन, जंगल सत्याग्रह,कंडेल नहर सत्याग्रह, गौ वध विरोध, मंदिर में हरिजन प्रवेश, असहयोग आंदोलन, राषटीय स्कूल, सतनामी आश्रम जैसे अब्बड़ आंदोलन अउ लोक हितकारी के काम ल आघु रही के पूरा करे के जिम्मा उठाएव अउ पूरा करेव।
कंडेल सत्याग्रह–
येकर कहानी बहुत लंबा हे, महानदी के पानी ल कंडेल तीर माडमसिल्ली,रुद्री के किसान मन बर अनुबंध के अनुसार पाने देके बेवस्था करिन,अनुबंध के राशि जादा रिहिस किसान मन मना करिन,फेर जबर्दस्ती पानी छोड़ के कर वसूली के जुगाड़ करे लगिन। सरकार किसान मन म पानी चोरी के आरोप लगाके 4033 रुपये जुर्माना कर दिन। किसान मन विरोध करिन जेकर परमुख नेता सुंदरलाल शर्मा जी,नारायण राव मेघावाले,छोटेलाल श्रीवास्तव जी रिहिन। इंकर शिकायत गान्धीजी ले करे बर कलकत्ता गिन अउ गान्धीजी के आये के पहली सरकार ल किसान मन के आघु झुके ल पडिस। ये सब शर्मा जी के नेतृत्व म पोठ कदम उठाये के परिणाम आय।
गान्धीजी अउ सुंदरलाल–
महात्मा गांधी जी ल सबले पहिली छत्तीसगढ़ लाय के जुम्मेदारी शर्मा जी के रिहिन। कलकत्ता ले गान्धीजी ल बलाय गिन अउ 20-21 दिसम्बर 1920 के आके इहा के आन्दोलन के हालचाल जानिस।
दुसरैया पहित फेर आइस त 22-28 नवम्बर 1933 के हरिजन उतधार कार्यक्रम म पहुचे रिहिन। गान्धीजी देश भर म हरिजन कल्याण के तहत इंचों आइस त ओकर आय के पहिली सुंदरलाल शर्मा जी दुवारा हरिजन उतधार के काम शुरू होगे रिहिस। तब गाँधीजी अब्बड़ खुश होके शर्मा जी ल अपन गुरु मानिस।
पं. शर्मा अउ अछूत उतधार–
काकीनाडा सम्मेलन ल आय के बाद शर्मा जी अछूत उत्थान कार्यक्रम शुरू करिन,समाज म समानता लाय बर उँकर घर भोजन करिन, जनेऊ पहिराइन। बाम्हन मब अब्बड़ विरोध करिन फेर पंडित जी अपन काम ल अटल होके करे बर दांव लगा दिस। हरिजन मन ल राजिम के मंदिर म लाखो विरोध के बाद घलो परवेश करवाइस,जे वो समय के जातिगत भेदभाव के कारण असमभव रिहिस। ते शर्मा जी के ही नैतिक ताकत के बात आय। कई बाधा ल पार करत रायपुर म सतनामी आश्रम,हरिजन पुत्रीशाला, छात्रावास अउ वाचनालय के स्थापना होइस।
सम्मान–
पंडित जी के सममान म ओकर नाम ले 2005 ले पंडित सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय बिलासपुर म स्थापित करे हे।
छत्तीसगढ़ राज सरकार आंचलिक साहित्य बर पंडित सुंदरलाल शर्मा सममान बने काम करईया ल देय जाथे।
पंडित सुंदरलाल जी जीवन भर सादा जीवन उच्च बिचार के आदर्श ल पालन करत समाज सेवा म रत रहिके छत्तीसगढ़ राज भर अनमोल काम करे हे। अपन घर दुवार,परिवार के जादा छत्तीसगढ़ के जनता बर अपन जीवन ल झोकइया पंडित जी ल कृतज्ञ छत्तीसगढ़ कभू नई भूल सके। अवइया पीढ़ी ल घलो अपन नेक काम ले प्रेरणा देवत रही। पंडित जी हमर बीच ले 28 दिसम्बर 1940 के सदा के लिये चल दिस। अपन काम के बल म पंडित जी छत्तीसगढ़ के आकास म नक्षत्र बरोबर चमकत रही।
हेमलाल सहारे
मोहगांव(छुरिया)राजनांदगांव