‘हिंदी नवजागरण: कल, आज और कल’
‘हिंदी नवजागरण: कल, आज और कल’ शीर्षक से प्रकाशित इस पुस्तक का प्रकाशन, एक रूपांतरकारी प्रयास की तरह हमारे सामने है। बंगाल से आरंभ हुआ आधुनिक कालीन नवजागरण, हिंदी पट्टी तक आते-आते अनेक तरह के अंतर्विरोधो का शिकार होकर, कुछ कमजोर पड़ गया। इस हिंदी नवजागरण का जो काम कुछ अधूरा रह गया था, उसे एक नई गति और गरिमा प्रदान करने के लिए कतिपय विद्वान मित्रों ने एक सहयोगी प्रयास की तरह जो चिंतन मनन किया, उसे राकेश कुमार गुप्त और दिलीप कुमार के द्वारा पुस्तक का रूप दे दिया गया है। पुस्तकों मैं सम्मिलित लेखकों के नाम क्रमानुसार इस प्रकार हैं : आलोक कुमार श्रीवास्तव, भगवान सिंह, विनोद शाही, कपिल तिवारी, अभय कुमार दुबे, श्रीप्रकाश मिश्र, हितेंद्र पटेल और सुभाष चंद्र कुशवाहा।
इस तरह की किताबें हमारे समाज में व्याप्त वैचारिक जड़ता को तोड़ने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। यह कार्य लाल बहादुर वर्मा जी की स्मृति को समर्पित है और उनके द्वारा देखे गए सपनों को पूरा करने की दिशा में एक कदम की तरह है। जिन मित्रों को इस पुस्तक में दिलचस्पी हो, वह इसके लिए पुस्तक के संपादक राकेश कुमार गुप्त से संपर्क कर सकते हैं। संपर्क: 9839448782