November 21, 2024

पुस्तक परिचय : बिहार से तिहाड़

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यह पुस्तक एक साधारण से बिहारी छात्र कन्हैया कुमार जिन्होने अपनी आँखों मे UPSC का सपना लिए बिहार के बेगूसराय के छोटे से गांव बीहट से निकल कर दिल्ली के नेहरू विहार और फिर देश के प्रतिष्ठित संस्थान JNU से Ph.D की डिग्री के साथ एक मशहूर छात्र नेता बनने का सफरनामा है।

यह काफी दिलचस्प है कि कैसे एक शोधार्थी बिना कोई अपराध किए, राजनीति का शिकार बनकर कुख्यात अपराधियों की सराय यानी तिहाड़ पहुंच जाता है।

इसके बाद वे एक युवा राजनीतिक सितारा बन कर उभरे, जिसे #बीबीसी ने भारत का एक ऐसा छात्र बताया, जिससे लोगों ने एक ही साथ सबसे ज्यादा प्यार भी किया और नफरत भी ।

पुस्तक में कन्हैया कुमार लिखते है- “जेएनयू कैंपस में रहना एक सांस्कृतिक झटका देता है. लोग यहां बहुत आजा़दी से रहते थे… चाहे क्लासरूम हो, प्रदर्शन हो या फिर ढाबे हों, कहीं भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व पुरुषों से कम नहीं था… यहां के शिक्षक भी अलग तरह के थे. वे भी शिक्षकों की तरह व्यवहार करने के बजाए, छात्रों से दोस्ताना और बराबरी का व्यवहार करना पसंद करते थे. जल्दी ही मैं यह जान गया कि जेएनयू में मैं किसी भी प्रोफेसर की बात पर सवाल उठा सकता हूं, उनसे असहमत हो सकता हूं. यहां हमारी बहसें बराबरी के आधार पर होती हैं.”  पूरे किताब को इन्होंने 5 भागो में बाँटकर पूरा किया है – बचपन,पटना, दिल्ली, जे एन यू और तिहाड़।

जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष रहे #कन्हैया कुमार फरवरी 2016 में राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिए गए। उन्हें तिहाड़ जेल में रखा गया। पटना विश्वविद्यालय के छात्र होने के नाते मुझे 2013 के विश्वविद्यालय चुनाव के दौरान पहली बार कन्हैया कुमार से मिलने और बातचीत का अवसर प्राप्त हुआ था तब से कई बार ये सुखद अवसर प्राप्त हो चुका है। बातचीत के दरमियान भी सरकारी स्कूलों की दुर्दशा, पब्लिक स्कूलों का आर्थिक स्थिति के आधार पर बच्चे को तोड़ने वाला भेदभाव, जाति व्यवस्था से टकराते बच्चे और विभिन्न विचारधाराओं पर चर्चाएं होती रहती थी इस पुस्तक में भी इन सारी बातों पर चर्चाएं पढ़ने को मिली, साथ ही JNU के लोकतांत्रिक ताना बाना की झलक भी देखने को मिली।

कन्हैया कोई लेखक नहीं हैं और न ही उन्होंने इस किताब में लेखक बनने की कोशिश की है. अब तक उन्होंने जो देखा-समझा-भुगता उसे बिल्कुल सीधी-सरल भाषा में इस किताब में कह दिया है। पूरी किताब में एक युवा के मानवीय मूल्यों के लिए खड़े होने की बात है। मीडिया कैसे किसी भी आम इंसान को बैठे-बिठाए नायक और खलनायक बना सकता है, यह किताब इसका अच्छा उदाहरण है।।

राजनीतिक षड्यंत्र का शिकार होकर कैसे एक सामान्य सा छात्र देश का सबसे मशहूर छात्र नेता बन गया, यह जानने की इच्छा रखने वालों और जेएनयू की जमीनी हकीकत जानने की इच्छा रखने वालो को ये पुस्तक अवश्य पढ़नी चाहिये।।

पुस्तक जगरनॉट बुक्स प्रकाशन से प्रकाशित है।

कीमत:- 250

कन्हैया कुमार

बिहार से तिहाड

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