November 22, 2024

नवा बछर के नवा बिहनिया हो…….
नवा सुरुज अब आ गे।
आवव संगी जुरमिल चलबो,
अँधियारी हा भगा गे।।
नवा बछर के………..

सुरुर – सुरुर पुरवइया चलत हे,
मन मा आस जगावत हे।
नवा काम बर नवा सोच लव,
नवा भाग लहरावत हे।।
मन हरियागे तन हरियागे.. हो.
मन हरियागे तन हरियागे,
खुशहाली अब छा गे ।
नवा बछर के……………

दिन-दुगुना अब महिनत कर लव,
पथरा फोर कमा लव।
नवा जमाना देखत रहि जाय,
दुःख पीरा बिसरा लव।।
जाँगर पेरव छींचव पसीना….
गंगा एमा समागे ।
नवा बछर के………….

बिसरे गोठ ला झन सोरियावव,
रद्दा आगू बढ़व गा ।
करम के खेती धरम के बोनी,
सुग्घर सपना गढ़व गा ॥
धरती अउ आगास मा गुँजही हो…….
धरती अउ आगास मा गुँजही,
सोर सबो बगरागे।
नवा बछर के……………

रचनाकार:-
बोधन राम निषादराज”विनायक”
सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)

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