ग़ज़ल
आज सुबह-सुबह मन हुआ कुछ लिखने का..
कुछ कहने का. जब मन हुआ तो अंजाम भी दे दिया. अब आप भी पढ़ ही लीजियेगा.
प्यार की बारिश करो
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साल भर में इस तरह दो दिन न फर्माइश करो
रोज ही सावन मनाओ…प्यार की बारिश करो
स्वस्थ होगा, मस्त होगा, चुस्त होगा, देखना
प्यार बच्चा है, लिटा कर धूप में मालिश करो
फूल देकर, फूल जैसा…आप मुरझा जाएंगे
उम्र भर महके हमारा प्यार यह कोशिश करो
प्रेम के फल स्वाद में होंगे मिठासों से भरे
परवरिश करने के पहले ठीक पैदाइश करो
क़ीमती ये पल गणित जैसे उलझते जाएंगे
प्यार को हिन्दी रखो, मत क्लिष्ट-सी इंग्लिश करो
मौज का कारण नहीं, कुछ शक्तिवर्धक भी बनें
रेशमी पल हैं इन्हें काजू करो, किशमिश करो
कान में चुपचाप आकर कह रही ठण्डी हवा
प्यार के आवागमन पर अब नहीं बंदिश करो
उफ्फ! ये मौसम, धड़कते दिल, मचलते-से सपन
खूबसूरत – सी घड़ी में प्यार की साज़िश करो
दिनेश प्रभात
(गीतकार)
सम्पादक – गीत गागर