सप्रे संग्रहालय की बौद्धिक संपदा में जुड़ा नया आयाम
सुप्रसिद्ध कहानीकार चित्रा मुद्गल ने सौंपा अपना साहित्यिक खजाना
राजधानी भोपाल ही नहीं, देश और प्रदेश में ज्ञान तीर्थ की छवि अर्जित करने वाले सप्रे संग्रहालय की बौद्धिक संपदा में नया आयाम जुड़ा है। संग्रहालय को साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त वरिष्ठ कथाकार चित्रा मुद्गल ने अपनी ‘साहित्यिक धरोहर’ सौंपी है। इतना ही नहीं उनके पति सुप्रसिद्ध साहित्य संपादक अवध किशोर मुद्गल की सामग्री भी प्रदान की है। वहीं, प्रख्यात आलोचक स्व. डॉ. प्रभाकर श्रोत्रिय का साहित्य भी संग्रहालय को प्राप्त हुआ है। इन तीन विभूतियों की शब्द संपदा यहां आ जाने से शोधार्थियों को काफी सुविधा होगी।
चित्रा मुद्गल ने संग्रहालय को जो सामग्री सौंपी है उनमें उनकी किताबें तो हैं ही, साथ ही किताबों की हस्तलिलिखत पांड़लिपी भी है। इसके अलावा विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में उनके द्वारा लिखे लेख,साक्षात्कार या उन पर लिखे गये लेख वे सभी अब यहां पर मिलेंगे। इसके अलावा चित्रा जी पर किये गए शोध संकलन भी अब यहां उपलब्ध रहेंगे। देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों से विद्यार्थियों ने उनके लेखन पर शोध किये हैं। ऐसे करीब 30 से भी ज्यादा शोध यहां पर उपलब्ध रहेंगे।
‘आंवा’ और ‘नाला सोपारा’ भी मिलेंगे यहां
चित्रा मुद्गल ने संग्रहालय को जो खजाना सौंपा है, उनमें उनके प्रतिष्ठित उपन्यास ‘आंवा’ और ‘नाला सोपारा’ भी हैं। उन्हें ‘नाला सोपारा’ के लिए वर्ष 2018 में साहित्य अकादमी का पुरस्कार और ‘आंवा’ के लिए वर्ष 2003 का व्यास सम्मान भी मिला है। व्यास सम्मान पाने वाली वे पहली महिला लेखिका हैं। ‘आंवा’ के उर्दू,तमिल,कन्नड़, मराठी, असमिया सहित अन्य भाषाओं में अनुवाद हुए हैं। यह अनुदित कृतियां भी यहां उपलब्ध रहेंगी। इसके साथ ही उनके विभिन्न कहानी संग्रह और उपन्यास भी यहां हैं, जिनकी संख्या करीब एक सैकड़ा से ज्यादा ही होगी।
पत्रों का जखीरा भी
अपने जीवन में चित्रा मुद्गल द्वारा जितने भी पत्र-व्यवहार किये गये, यह सभी चि_ियां भी उन्होंने सौैंपी है। साहित्य सामग्री की तरह ही यह पत्रों का यह बंडल भी काफी बड़ा है। इनसे गुजरना भी अपने आप में दुर्लभ अनुभव कहा जा सकता है।
तीन दशकों की संपादित पत्रिकाएं
चित्रा जी के पति और सुप्रसिद्ध साहित्य संपादक अवध नारयण मुद्गल की धरोहर भी संग्रहालय का अंग है। मुद्गल जी द्वारा संपादित पत्रिकाएं ‘सारिका’,‘वामा’ तथा ‘छाया-मयूर’ पत्रिकाओं का संपादन किया गया था। इन पत्रिकाओं की करीब तीन दशक की प्रतियां (वर्ष 1960 से लेकर 1990 तक)यहां देखी जा सकेंगी। इसके अलावा उनकी प्रसिद्ध किताबें जो करीब 10 की संख्या में होंगी साथ ही चित्रा जी द्वारा अवधनारायण पर लिखी किताब‘तिल भर जगह नहीं’ भी यहां उपलब्ध हैं।
हजार से ज्यादा श्रोत्रिय जी किताबें
संग्रहालय को सुप्रसिद्ध आलोचक, लेखक,संपादक और नाटककार डॉ. प्रभाकर श्रोत्रिय की ज्ञान संपदा भी उनकी जीवन संगिनी ज्योतिबाला श्रोत्रिय ने भेंट की है। यह करीब 1320 किताबों का संग्रह है।
देश भर का विश्वास मिला है
इन तीन साहित्य मनीषियों की बौद्धिक धरोहर प्राप्त होने के बाद संग्रहालय के संस्थापक निदेशक विजयदत्त श्रीधर ने कहा कि देश के शीर्षस्थ साहित्यकारों या उनके परिजनों का संग्रहालय पर भरोसा बढ़ा है। वे इस विश्वास के साथ कि यहां यह खजाना सुरक्षित रहेगा, अपनी संपदा सौंप जाते हैं। अब करीब 40 साहित्यकार यहां अपनी सामग्री प्रदान कर चुके हैं।
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SAPRE SANGRAHALAYA, BHOPAL
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