November 22, 2024

है आंख नम तो क्या मुस्कुरायें।
बताओं कब तक ये गम छुपायें?

तुम्हें मुबारक तुम्हारी खुशियां,
हमारी किस्मत है छ्टपटायें ।।

जो सर प इल्जाम रख दिया है,
तो आके मेरी खता बतायें।।

हमारी आंखों को लत तुम्हारी,
क्या इनको अब आईना दिखायें ?

न जाने कैसा ये मोड़ आया,
छुपाना था जो वही बतायें ।।

नज़र से जैसे नज़र मिली तो
ये लब भी गुल जैसे मुस्कुरायें।।

अंजली श्रीवास्तव

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