चलो आज फ़ुरसत से….
चलो आज फ़ुरसत से
कुछ पन्ने पुराने पलट लिए जाएं ll
इस से पहले कि बन जाऐं
नासूर सब के सब……
कुछ जख़्मों को फि़र से
हरा कर ली जाए ll
कहीं घुट ना जाए दम ये मेरा
अपनों की भीड़ में.. ….
चलो एक कंधा ,
मक़बूल* तलाशी जाए ll
रखें हैं कई चेहरे सजाकर यहाँ
देखो बेख़ौफ़ सब के सब……
चलो परत दर परत आज,
मुखौटे उतारें जाए ll
आलम ना पूछो ,
खै़रात में मिले चीज़ों की बेकदरी का….
चलो आज दुनियाँ को मुन्तजि़र*
बन जाने की मोहलत* दी जाए ll
निभाया किया है मैंने
सदा हीं जिनकी ग़लतियों तक से रिश्ता…
चलो आज उन्हीं की नज़रों में
खुद को फालतू ठहराया जाए ll
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* आलम-हालत
* मुन्तजिर-प्रतिक्षा करने वाला
*मकबूल- प्रिय
*मोहलत- फुर्सत .
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@ऋतिका रश्मि✍️.
(पूर्णतया मौलिक)