रोमानिया के चर्चित कवि मारिन सोरेस्क्यू की एक अद्भुत कविता का अनुवाद
कलाकार
————
कितने अद्भुत लचीले हैं ये कलाकार
कितने खूबसूरत।
अपनी कमीज की मुड़ी आस्तीनों के साथ
हमारे लिए जीते हुए।
मैंने कहीं नहीं देखा
इतना कलात्मक और परिपूर्ण चुम्बन
नाटक के तीसरे भाग में
जब वे अपनी भावनाएँ व्यक्त कर रहे थे।
बहुरंगी, तेल चुपड़े
सिर पर टोपी लगाये
तमाम तरह के काम करते हुए
वे आते और जाते हैं
जैसा नेपथ्य से उन्हें कहा जाता है
उन शब्दों के साथ
जो फिसलते हैं लाल कालीन की तरह।
इतनी स्वाभाविक होती है मंच पर उनकी मृत्यु
कि कब्रगाहों में
सबसे भयानक त्रासदी के शिकार
मृतक भी भावुक हो उठते हैं
उनकी कलात्मकता पर।
और एक हम हैं
काठ के उल्लू की तरह चिपके हुए
अपने एक ही जीवन से
और इस एक को भी जीने का शऊर नहीं
हमारे पास।
हम, जो सिर्फ बकवास करते हैं
या फिर
शताब्दियों तक खामोश रहते हैं,
फूहड़ और उबाऊ …
हमें पता ही नहीं
कि हमारे हाथ
क्या कमाल कर सकते हैं।
(अनुवाद : मणि मोहन मेहता)