November 21, 2024

हाँ ! आसान नहीं होता
किसी सच्चे पुरुष के दिल मे रहना
नहीं मानता वो अपनी दासी स्त्री को
पौरुष की अकड़ दिखाकर
अपनी ही नजरों गिर जाना उसे स्वीकार नहीं
उसे रसोई और बिस्तर में सिमटी
आभूषण और श्रृंगार से
लदी स्त्री देह उन्मत्त नहीं बनाती
उसे तो आत्मा का सौंदर्य बन्दी बना लेता है
आत्मज्ञान और स्वाभिमान से दीप्त
स्त्री सौंदर्य रोक लेता उनकी राह सदैव के लिये
अनुगामिनी नहीं बनाते वे पुरुष
कदम मिलाकर पथरीले रास्ते तय कर लेते हैं
उनकी आँखों से छलकता है सम्मान
बुद्धिपूर्ण स्त्री के निर्णयों को देते हैं स्थान
कर्णफूल या मणिमाला नहीं भेंट करते
वो अपनी प्रेयसी को
भेंट करते हैं वो एक समृद्ध पुस्तकालय
चाँद ला देने के वायदे नहीं करते वो
हाथ थाम कर प्रिया का
इस धरती पर ही रंगबिरंगे फूल उगा लेते हैं
अपने घर ही नहीं ह्रदय पर भी
प्रिया का नाम अंकित कर देते हैं !

शुभा मिश्रा
10.5.2023

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