कुछ खूबसूरत लम्हें …
कुछ खूबसूरत लम्हें हमें गुदगुदातें है
जब वो पास थे,सबसे खास थे
मुझ से भी ज्यादा
नजदीक वो मेरे आस पास थे
था भावनाओं का रिश्ता गहरा
जहां आकर कभी था वक्त ठहरा
मांगने चले थे समंदर से थाह उसकी
उतरे जब न उसका कोई ओर छोर था
मासुम साफ थी मोहब्बत उसकी
केवल और केवल था तो समर्पण था
न वासना न मदहोशी ही उसके साथ थी
डूब जाने वाली उसकी तन्हा गहराई में भी
मेरी ही मूरत छवि उसके पास थी
क्या नाम दूं ………!!!!!!
नटवर मीरा की इस प्रणय गाथा का
जिसमें राधा के साथ
मीरा की प्रेमाभिव्यक्ति भी साथ थी।।
© शीतल शैलेन्द्र देवयानी