आज के कवि
राजा जी ने दिए हैं आंसू
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राजा जी ने दिए हैं आंसू
हंसकर रोना है,
हमने जो बिरवे बोए
फल उसी का होना है,
राजा की बातों से झरते
चांदी -सोना है,
रहने को अब बचा न कोई
घर का कोना है,
घर के बाहर नहीं निकलना
भूखे सोना है,
पता नहीं आगे कितने
अपनों को खोना है,
कोई हमें बताए यह कि
आखिर सच क्या है,
राजा को हो गया करोना
या वही कोरोना है।
-राधेश्याम तिवारी