November 24, 2024

दरख़्त सा सख़्त
पल्लव सा नर्म
समंदर का कोलाहल वो

प्रेम में सृजन
दहक उठे तो दावाग्नि
क्रोध में विध्वंस वो

नज़रों से भेदता
मुस्कान से लूटता
काही आंखों से दिल में उतरता वो

इधर उधर क्या ढूंढे उसको
मन की गहराइयों में बसता जो…

~पल्लवी

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