June 16, 2025
2

दरख़्त सा सख़्त
पल्लव सा नर्म
समंदर का कोलाहल वो

प्रेम में सृजन
दहक उठे तो दावाग्नि
क्रोध में विध्वंस वो

नज़रों से भेदता
मुस्कान से लूटता
काही आंखों से दिल में उतरता वो

इधर उधर क्या ढूंढे उसको
मन की गहराइयों में बसता जो…

~पल्लवी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *