November 23, 2024

बेला मांगा था
बरसात में तुमसे…

बरसते मेघ,
बेला और मैं
इंतज़ार की अग्नि
में झुलस कर
रीत गए….

आज
बेला का एक फूल
मिला कुरियर से…
मुरझाया सा
झुलसा सा
पराजित सा

ले तो लिया,
पर उसको
मिट्टी को सौंप दिया…

वैसे, अचानक
क्यों भेजा तुमने
खुद पर उधार
वो फूल?

वक़्त के थपेड़ों
से जूझकर,
अकेलेपन के
बियाबान से
लड़ कर
कुछ मरता है
तो वो है,
प्यार!
पर
ज़िंदा रह जाती है
प्यार की चाह!

शायद कल तक
मन के
सन्नाटे में
वो चाह जिंदा थी
आज कुरियर से आये
अकेले
उदास
बेला ने,
वो चाह भी मार दी

~पल्लवी

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