छिपी भाग की रेखा
अंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस के निमित्त मराठी कवयित्री बहिणाबाई चौधरी(१८८०-१९५१) की कविता का हिंदी अनुवाद-
छिपी भाग की रेखा
छिपी भाग की ये रेखा
मेरी टिकुली के नीचे
पुँछी रे टिकुली मेरी
खुली पड़ी भाग रेखा।
प्रभू तेरे भी घर का
सूख गया है झरना
धनरेखा की धार से
चिरी मेरी हथेलियाँ ।
रहें लाल मेरे सुखी
यही प्रभू अब मांगूं
बीच में आया नसीब
क्या कहेंगे तिथि पत्रा।
नहीं नहीं रे ज्योतिषी
मत आ रे मेरे द्वारे
जानूं मैं तो भाग मेरा
देख मत हाथ मेरा ।
अनुवाद- रंजना अरगडे