November 21, 2024

एक तस्वीर बन के रहते हैं
अब न जीते हैं और न मरते हैं

पाक दामन रहे हमेशा हम
हम फिसलते न ही बहकते हैं

ठोकरें भी बहुत ज़रूरी हैं
गिरते पड़ते हैं तब संभलते हैं

क्या गुज़रती है दिल पे मत पूछो
ख़्वाब जब टूट के जब बिखरते हैं।

बाग़बाँ इतने संगदिल क्यों है
फूल पैरों से जो मसलते हैं।

प्रियंका “सजल”

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