अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस
कई मित्र स्त्रियां मेहरबान हैं
दे रही हैं बधाई हम पुरुषों को
बता रही हैं पुरुष दिवस है आज!
वैसे तो हर दिन हमारा ही रहा है
आज तक अपने आनंद और आखेट के लिए,
सदियों से शोषण किया है हमने स्त्रियों का;
दुनिया के महाकाव्य और इतिहास भी गवाह हैं,
तो अब कैसे बचाव करें?
पर एक बात फिर भी
मुझे पुरुषों के हक़ में
आज स्त्रियों से पूछनी है —
“सुनेत्रा,
सच है प्रकृति से हम जानवरों की तरह ही हैं,
लेकिन हमारे गले में बंधी ज़ंजीरें तो
तुम्हारे ही हाथों में रही हैं।
हम तुम्हारी ही अदाओं पर
हर वक्त दुम हिलाते हैं आज तक!
फिर भी हम पालतू क्यों नहीं बन पाए?”
—– राजेश्वर वशिष्ठ