कविताएँ लिखनी चाहिए
जैसा कि एक कवि कहता है कि मातृभाषा में ही लिखी जा सकती है कविता
तो मातृभाषा को याद रखने के लिए लिखी जानी चाहिए कविता
और इसलिए भी कि यह समझ धुन्धली न हो
कि पिता पहला तानाशाह होते हैं
और जैसा कि मैं कह गया हूं माँएँ पहला कम्युनिस्ट
पड़ोसियों ने फासिस्ट न होने की गारण्टी कभी नहीं दी
इलाहाबाद से दिल्ली के सफ़र के शुरू में
एक आदमी ने सीट को एक्सचेंज करने का प्रस्ताव रखा
फिर उसने कहा कि और क्या एक्सचेंज किया जा सकता है
मैंने कहा कि मैं किसी को अपना कोहराम नहीं देने वाला
जाते-जाते वह कह गया कि झूठ पर फ़िल्म बनाने के बहुत पैसे मिलते हैं
मैंने ग़ायब होने के पहले कहा
कि जो संरक्षण संविधान में कवि को मिलना चाहिए था वह गाय को मिल गया
पान खाते हुए वह हँस पड़ा और उसका सारा थूक मेरे मुँह पर पड़ गया
कविताएँ लिखनी चाहिए ताकि कवि नैतिक अल्पसंख्यक न रह जाएँ
कविताएँ लिखी जानी चाहिए ताकि मुक्केबाज़ के तौर पर मुहम्मद अली की याद रहे
और देश के तौर पर वियतनाम की
और बसने के लिए फिलिस्तीन से बेहतर कोई देश न लगे
और वेमुला होना सबसे ज्यादा मनुष्य होना लगे
कविताएँ लिखनी चाहिए क्योंकि ऋतुओं और बहनों के बगल से गुज़रने को
कविताएँ ही रजिस्टर करती हैं और पत्तों और आदमी के गिरने को
कविताएँ लिखी जानी चाहिए क्योंकि कवि ही करते हैं वापस पुरस्कार
और उन्हें ही आती है अख़लाक पर कविताएँ लिखते हुए रो पड़ने की अप्रतिम कला।
— देवी प्रसाद मिश्र 🌼