ऋतु सिंह की कविताएँ
ऋतु सिंह
राजस्थान
शिक्षा: एमफिल, बीएड, एमएससी भौतिकी
♦️बचपन से लिखने के शौक के चलते दसवीं कक्षा में राष्ट्रीय सहारा के एक कॉलम में ‘अधूरी कहानी पूरी करो’ प्रतियोगिता में प्रथम स्थान,
♦️कविताएं, लघुकथाएं, कहानियाँ पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित
♦️ यू ट्यूब चैनल के माध्यम से कविता ग़ज़लों की प्रस्तुति
♦️शॉर्ट फ़िल्मों का लेखन, एडिटिंग व निर्माण
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1️⃣ सही साथी
जाने कितने ऐसे पुरुष हैं
जिनका प्रगति पथ अवरुद्ध है
जिनका मानसिक विकास रुका हुआ है,
भयंकर तनाव झेल रहे हैं,
आखिरी दम तक वे समझ नहीं पाते
कि घर की लक्ष्मी ब्याह कर लाए थे
या घर के हर कोने को कोप भवन बनाकर रखती, आवश्यक – अनावश्यक सवालों के तीर चलाती,
घर में बड़े शहर के प्रदूषण से भी अधिक घुटन भरकर रखती,
दिन पर दिन जीना और दूभर करती
कोई दुष्ट आत्मा…
जाने कितने उदाहरण मेरे सामने हैं
उन औरतों के…
जिनके परमेश्वर उनके जीवन में कुंडली मारे बैठे हुए हैं…
इन स्वघोषित धरती के ईश्वरों की देवियां
मुफ्त की नौकरानी और स्थाई चौकीदार से अधिक कुछ नहीं…
ये ईश्वर चाहते हैं कि
पूरी धरती का बोझ सुबह से शाम तक अपने कंधों पर उठाने के बाद
जब घर वापस लौटें
तो अर्धांगिनी (जिन्हें 50-50 की बजाय 90 -10 के अनुपात में समझ
सर पर छत देकर अहसान किया जा रहा…)
द्वार से लेकर बिस्तर तक होंठ सीए बिछी रहें…!!
सिला फिर भी – घड़ी घड़ी अपमान
जाने कितनी औरतें हैं…
जिन्होंने ऐसे ईश्वर को दुत्कार कर
हमेशा के लिए चौखट लांघी,
मरता क्या न करता से शुरुआत कर
अपने पंखों को नए आसमान दिए
उन्होंने अपने दैत्यों से मुक्ति पाकर जाना
कि वे आखिर हैं क्या!
और क्या कर सकती है!
वे पुरुष भी हैं…
जिन्हें घर में शक के अग्नि कुंड में जलती और सर्वस्व स्वाहा करती
दुष्ट आत्मा से छुटकारा पाकर समझ आया
कि खुशियों के मायने क्या है!
सफलता की राहें किधर है!
इस जनम में भी उनके लिए एक कोना सुकून का है…
दो जन एक दूसरे से मुक्ति पा
मोक्ष को प्राप्त होने लगते हैं…
सही साथी मोक्ष का मार्ग है…
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2️⃣ मध्यम वर्गीय पिता
मध्यम वर्गीय लड़कों के लिए
अपने पिता के गले लगने की उम्मीद
नौकरी के समय इंटरव्यू के बाद
परिणाम के इंतज़ार जैसी है
कि जाने नंबर आएगा या नहीं…
मध्यमवर्गीय पिता!
मैं पढ़ चुकी हूं तुम्हारा चरित्र
तुम्हारे बेटों की लिखी रचनाओं में
बहुत गर्व के साथ वे लिखते हैं…
तुम्हारे माथे की लकीरों के बारे में
सख्त हाथों और फटी एड़ियों के बारे में…
तुम्हारी मेहनत, ईमानदारी,
आत्मसम्मान और खुद्दारी के बारे में
कागज गीला कर कर लिख रहे हैं
अपने जन्म के बाद से लेकर अब तक
अपने पिता द्वारा किए गए
अनगिनत त्याग की बानगी…
यकीनन तुम्हें लगता होगा
कि आलिंगन कमजोर करता है…
इसलिए यह दूरी कायम रखी तुमने
कि बेटा तुमसे भी ज्यादा मजबूत बने…
नहीं मालूम कि स्वयं को एक पत्थर शिला सा बना
तुम तरसे या नहीं!
लेकिन ये लड़के जरूर तरस रहे हैं…
तुम्हारे तमाम संघर्षों के साथ-साथ
ये लिख रहे हैं अपनी रचनाओं में
कि पिता गले नहीं लगाते…
मां है तो सही दुलारने को,
सीने से चिपकाने को
शायद इस सोच ने असाध्य बना दिया हो
पिता-पुत्र का आलिंगन
सुनो पिता !!
तुम्हारे सीने से लगना
उनका जन्मसिद्ध अधिकार है…
अपने जीते जी एक बार,
कम से कम एक बार बेटे को
गले जरूर लगाना तुम
दो घड़ी यह बात भूल कर,
कि तुम उन्हें नहीं समझ पाए और वे तुम्हें…
यकीन जानो!!
इस आलिंगन से उपजे ताप से
तुम्हारे जीवन का हिमालय सा दुख
मोम सा पिघल कर तैरने लगेगा
उन आंसुओं की नदी में
जो कब से बांध टूटने के इंतजार में थी…
फिर सुनिश्चित करना,
कि उन्हें मजबूत बनाने के लिए
कौन सा तरीका बेहतर रहता!
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3️⃣ मुस्कान का वास्तुदोष
हमारे पड़ोसी खूब पैसे वाले हैं
उस घर की मालकिन
बात बात पर लोगों से झगड़ती है
मैंने उसे बामुश्किल ही मुस्कराते देखा होगा
और शायद ही किसी मेहमान को आते जाते…
उनके क्लेश मयी घर से उठकर आने वाला शोर
चर्चा में बना ही रहता है,
कुछ लोग कहते हैं कि उस घर में वास्तु दोष है,
जो गृह स्वामिनी को प्रभावित करता है…!!
वास्तु…
यानी घर की दिशा, कोण आदि में त्रुटि
इस धरती पर जाने कितने प्राणी
जाने किस किस स्थिति में रहते हैं
किस किस कोण पर सोते जगते हैं
जाने किस किस दिशा में पूजते हैं
अपने अपने ईश्वर को
बमुश्किल एक चारदीवारी के छोटे से आले में
या दीवार पर चस्पा कैलेंडर रूपी तस्वीर में
हर हाल में आवश्यक व श्रद्धेय हूं!
ईश्वर इसी बात से खुश हो जाता होगा
कहाँ उसे भी शिकायत रहती होगी फिर
दिशा या कोण में त्रुटि होने पर
या मजबूरी में अपनी मूर्ति की ओर पैर करके सोये जाने पर
वह भी जानता है
कि एक संघर्ष शील, सेवारत व्यक्ति की मुस्कान के आगे
ये सारे दोष, सारी त्रुटियाँ बेमानी हैं…
वह मुस्कान
जो किसी दिशा, समय या कोण की मोहताज नहीं
– ऋतु सिंह