एक छोटे-से बच्चे ने…
एक छोटे-से बच्चे ने मूँद ली हैं आँखें
सब्जी-भाजी और ऐसे ही कुछ नापसंद स्वाद की तरफ़ से
जिन्हें माँ जबर्दस्ती खिलाना चाहती है उसे
वह एक छोटी-सी चॉकलेट पेस्ट्री खाते-खाते
रखना चाहता है कदम नए साल में
उसकी छोटी-सी दुनिया में
यही वो प्रिय स्वाद है
जिसे वह सहेजना चाहता है
हर्ष और उत्सुकता के अतिरेक में
वह लगातार काटता है चक्कर
रसोईघर में रखे फ्रिज और
बैठकघर में टँगी दीवाल-घड़ी के बीच
गेहूँ-मक्की, दाल-चावल और सब्जियों के स्वाद
उसके लिए अपरिचित भले ही न हों
लेकिन फिलहाल बेहद प्रिय भी तो नहीं
इस अस्थिर समय में
जब बदलना सबसे गतिमान क्रिया है
जब नित बदल रही हैं आस्थाएँ
बदल रही हैं प्रेम की परिभाषाएँ
एक बच्चे का यूँ ठहरकर
अपने प्रिय स्वाद को सहेजना
कोई मामूली बात तो नहीं
यकीनन बच्चे सहेज लेंगे एक-दिन
गेहूँ-मक्की, दाल-चावल और सब्जियों के स्वाद भी,
खेतों की मिट्टी और नदियों का पानी भी
जंगल की हरियाली और
पहाड़ों की बर्फ भी।
मैं नए साल में
किसी बच्चे की ऊँगली पकड़े
प्रवेश करना चाहती हूँ।
मालिनी गौतम