बनारस की निवेदिता को पहला ‘नवल किशोर स्मृति आलोचना सम्मान’
हिंदी साहित्य और संस्कृति की पत्रिका ‘बनास जन’ ने विख्यात आलोचक प्रो नवल किशोर की स्मृति में ‘आलोचना सम्मान’ की घोषणा कर दी है. ‘बनास जन’ के अनुसार, इस वर्ष से प्रारम्भ यह सम्मान बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की युवा अध्येता निवेदिता प्रसाद को उनके विनिबंध ‘नज़ीर अकबराबादी का महत्त्व’ पर दिया जाएगा.
‘आलोचना सम्मान’ के लिए गठित निर्णायक समिति के सदस्यों प्रो. दुर्गाप्रसाद अग्रवाल (जयपुर), प्रो. माधव हाड़ा (उदयपुर) और संयोजक प्रो. मलय पानेरी (उदयपुर) ने सर्वसम्मति से निवेदिता प्रसाद की पांडुलिपि का चयन किया. ‘बनास जन’ निवेदिता के इस विनिबंध का स्वतंत्र अंक के रूप में प्रकाशन करेगा और लेखिका को सम्मान राशि भी भेंट की जाएगी.
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में टीच फॉर बीएचयू फेलो के रूप में कार्यरत डॉ. निवेदिता प्रसाद का जन्म 25 मार्च, 1995 को बलिया में हुआ था. प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय, कलकत्ता से स्नातक तथा दिल्ली के जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर के बाद उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी से पीएच.डी की उपाधि ग्रहण की.
नज़ीर अकबराबादी पर निवेदिता के विनिबंध पर अपनी संस्तुति में प्रो. दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ने कहा कि निवेदिता का अध्ययन नज़ीर अकबराबादी का उर्दू अदब के शायर के रूप में ही मूल्यांकन नहीं करता बल्कि हिंदी कविता के विकास की एक महत्त्वपूर्ण कड़ी के रूप में नज़ीर को चिह्नित किये जाने का सार्थक प्रयास करता है. प्रो. माधव हाड़ा ने कहा कि उत्तर रीतियुगीन भारतीय समाज के संदर्भ में नज़ीर का अध्ययन इस विनिबंध को विशिष्ट बनाता है.