हिंदी रंगमंच का सितारा मिर्जा मसूद
अब दूर गगन में कहीं खो गया है
सुबह 5 बजे मेरा मोबाइल बज रहा है पर मैं गहरी नींद में हूं। नींद में ही मोबाइल पर एक सरसरी सी निगाह डालता हूं देखता हूं इंदौर से मिर्जा मसूद का कॉल है। फिर गहरी नींद में खो जाता हूं कि उठते ही उन्हें कॉल लगा लूंगा, वैसे इधर कई दिनों से मेरी उनसे बात नहीं हो पाई थी।
सुबह 9 बजे उठते ही मैं मिर्जा भाई को कॉल करूं उससे पहले ही बिलासपुर से रफीक खान का फोन आ जाता है। रफीक को कहीं से यह सूचना मिली है कि मिर्जा मसूद नहीं रहे सो उसकी पुष्टि मुझसे करना चाहते थे। मैं घबरा सा जाता हूं और तुरंत मिर्जा भाई के मोबाइल पर कॉल करता हूं।
उधर से बहू की आवाज आती है अंकल पापा जी नहीं रहे। रात करीब 2 : 30 बजे उनका इंतकाल हो गया है और वे तब तक उनको लेकर रायपुर के लिए निकल चुकी थी। बेटा कबीर कोलकाता में है। मैं उसे कॉल करता हूं। वह बताता है कि वह फ्लाइट लेकर आज शाम तक रायपुर पहुंच रहा है।
कल याने 20 जुलाई को उन्हें सुपुर्दे खाक किया जाएगा।
मिर्जा मसूद जैसे अनमोल सितारा के बिना छत्तीसगढ़ में हिंदी रंगमंच की कल्पना असंभव है। वे अनमोल सितारा थे, हमेशा अनमोल रहेंगे और हम सबके दिलों में हमेशा रोशन रहेंगे।
छत्तीसगढ़ अपने अनमोल सितारे मिर्जा मसूद को नमन करता है।
मिर्ज़ा मसूद