वोह नज़र
जब मैंने तुझसे
प्रेम करने से
पहले ही नहीं पूछा
तो क्यों कर पूछती भला ..?
कोई भी वजह
प्रेम करने के बदले
तुझसे कभी प्रेम नहीं मांगा
ना ही कभी चाहा
मुड़कर तू भी मुझे चाहे
और देख जब
धरती ने नहीं पूछी
आसमां से दूरी की वजह
बगिया ने नहीं पूछी
बसंत से पतझड़ की वजह
बूंदों ने नहीं पूछी
बादल से हटाने की वजह
खुशबू ने नहीं पूछी
फूलों से उडाने की वजह
पत्तों ने नहीं पूछी
टहनी से गिराने की वजह
अमावस ने नहीं पूछी
चंदा से न आने की वजह
और फिर जब मैंने
ईश्वर से भी नहीं पूछी
तेरे मन में आने की वजह
तो फिर भला मैं
क्यों कर पूछती…?
तुझसे ही
तेरे जाने की वजह
लौट कर न आने की वज़ह
पर फिर भी
तू मुझसे सब पूछ सकता था
तू लौट सकता था ।
दक्षा शिवी