मेरा गांव
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मेरा गांव
गांव के लोग
गांव की मिट्टी
गांव की हरीयाली
गांव का खेत खलिहान
गांव का हर कोना
याद दिलाता है
हर एक पल का
जो था प्यारा कितना।
बरगद की टहनी पर
झूला झूलना
गाय ,बकरी की आवाज़
नकल करना
नीचे चटाई डाल कर
सो जाना
नारियल छिलके से रस्सी बनाकर
गिले कपड़े सुखाना
तालाब से कमल का फूल तोड़ना
लहलहाते सरसों के खेत में पतंग
उड़ाना
सच में वो पल था खुशनुमा ।
और भी आए अब बहुत कुछ याद
सरल निराडंबर जीवन जीना
तीज त्यौहार बड़े चाव से मनाना
हर घर में प्यार का ख़जा़ना
संदूक में भरा पड़ा मिलना
भागवत कुटिया में सत्संग करना
चौराहे पर बच्चों के साथ
बुजुर्ग भी गिली डंडा खेलना
खेत में छुप छुप कर मुंगफली खाना
और कुएं से पानी पीना।
वो सब ,कब पीछे छूट गया
पता ही न चला
जो सिर्फ सामने था
स्मृतियों के आईने में
सिर्फ़ प्रतिबिंब मेरा।
अमिता कर