यह कौन है
यह कौन है / परमेन्द्र सिंह
यह कौन है जो चला आता है मेरे साथ सदियों से
जो न अतीत है, न वर्तमान और न भविष्य
जो परम्परा की तरह चला आता है, उसी का निषेध करता
जो न मि़त्र है, न शत्रु
जिसके हाथ में न पत्थर है, न फूल
मेरे होने की वकालत और न होने की पड़ताल करता
मेरी भाषा को बेजुबान करता और मुखर बनाता
यह कौन है
निशा के मधुर स्वप्न-सरीखा सिरहाने रखा
और दिन-रात पसलियों को कुरेदता यह कौन है
मधुर चुम्बनों की थरथराहट लिये
और समुद्र का खारापन लिये यह कौन है
कभी सरे-आम उघाड़ता और
कभी नेपथ्य में खींचता यह कौन है ?