मैं अपने साहस पर आज तक अचंभित हूँ…
तुम मुझे अच्छी लगती हो
और तुम्हारी निकटता अर्थपूर्ण
मैं जब भी तुम्हारे आस-पास होता हूँ
शब्द उतरते हैं
जैसे उतरता है दूध माँ के स्तनों में
शिशु के स्पर्श से
तुम्हारा स्पर्श मेरे लिए काव्य है।
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मैं जब फूल कहता हूँ
तब दरअसल
मैं तुम्हारी आँखों के बारे में कह रहा होता हूँ
तुम लजाकर उन पर अपनी हथेली ना रखा करो
फूल मुरझा जाते हैं।
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कविताएं पढ़ती हुई लड़कियां
हल्के नीले आसमान-सी लगती हैं
जिनके भीतर कविताएं फूटती हैं वो आसमान में चमकते सितारे-सी
और जिन लड़कियों के लिए
लिखी जाती है कविताएं
वो ध्रुव तरह की तरह होती हैं
तुम मेरा ध्रुव तारा हो।
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क्या अजीब बात है
मैं अपनी पुरानी कविताएं खंगाल रहा था
उनमें आज तुम मिली
जबकि
मैं तुम्हें हर कहीं ढूंढता हूँ
तुम कविताओं से दूर नहीं हो
ये कितनी सुंदर बात है।
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अपने अब तक के जीवन में
मैंने मूलत: तीन साहस के काम किये
तुमसे प्रेम किया
तुमसे कह पाया
और तुम्हें जाने दिया
मैं अपने साहस पर आज तक अचंभित हूँ।
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मुझे पूरा यक़ीन है ऊपर पढ़ी हुई कविताएं आपको अवश्य पसंद आई होंगी, मन को छू गई होंगी।
मैं खुद अचंभित हूँ इस किताब को पा कर। साथ ही साथ बेहद ख़ुश भी हूँ इस ख़ूबसूरत किताब में टंकित इतनी प्रेमिल, मर्मस्पर्शी कविताओं को पढ़कर।
बात दरअसल दो दिन पुरानी है दोपहर को अपनी फ़ुर्सत के लम्हों में लेटे हुए कोई किताब पढ़ रही थी, तभी सहायिका ने आकर कहा कोई पार्सल आया है आपके नाम से… मैंने कहा रख दो बाद में देखती हूँ। शाम 5:00 बजे चाय पीते हुए उस पार्सल को खोला-देखा, अरे! यह तो एक किताब है, उपहार में मुझे किसी ने भेजी है, मगर किसने ???
कवि का नाम “रहमान” लिखा है। किताब का शीर्षक है “प्रेम के पोस्टकार्ड”। रहमान की प्रेम कविताओं का संकलन। किताब “हिन्दीस्थान प्रकाशन” (जिसके संस्थापक हैं विकास रावल) से प्रकाशित होकर आई है। किताब के साथ दिए हुए हैं पाँच बुक मार्कर जिन पर कवि की ख़ूबसूरत पंक्तियाँ सुंदर चित्रों के साथ आगे-पीछे दोनों साइड छपी हैं। किताब का कवर-पृष्ठ किताब के शीर्षक को सार्थक करता हुआ बहुत शानदार है।यह किताब का प्रथम संस्करण ही है जुलाई 2024 का और किताब का मूल्य है 249 ₹।
मेरे लिए किताब भी नयी, कवि भी नये, प्रकाशन भी नया। शुक्रिया अदा भी करूं तो किसका। बात विस्मित तो कर रही है मगर ख़ुशी भी दे रही है कि इतनी ख़ूबसूरत सौगात पहुँचाने के लिए मेरा फ़ोन नंबर-ठिकाना भी लोगों के पास है।
ऐसे प्यारे लोगों के लिए ढेर सारी दुआएं, धन्यवाद, आभार। ऐसे तोहफ़े आने का सिलसिला जारी रहे, ख़ुद के लिए भी यह दुआएं करते हुए बस यही कहूँगी कि कहीं यह किताब दिखे तो जरूर उठा लीजिएगा हाथों में.. बड़ी ही प्यारी किताब है।
मेरा इंतज़ार तो अभी तक बरक़रार है, यह जानना अभी भी बाक़ी है कि यह किताब आख़िर भेजी किसने है।