वोह ९० के दशक वाला दिल…
वोह ९० के दशक वाला दिल
जिसमें मां – बाबा का डर था
पर सपनों का भी एक घर था
ऊंची – उड़ानों के अरमान थे
पर देहरी के कुछ फरमान थे
फिर भी बंदिशें तोड़ने को आतुर था
कौन …………………………?
वोह ९० के दशक वाला दिल
न हवस थी कोई न वासना थी
एक कोमल सी बस कामना थी
चलते फिरते उनसे टकराता था
गिरता संभलता चोट खाता था
फिर भी नजरें जोड़ने को आतुर था
कौन ……………………………?
वोह ९० के दशक वाला दिल
एक झलक पाने ही बड़ा बेताब था
चांद तो मामा से बना मेहताब था
हंसी निश्छल थी प्रेम लाजवाब था
हसरतों का पुलिंदा भी बेहिसाब था
फिर भी घड़ा फोड़ने को आतुर था
कौन …………………………….?
वोह ९० के दशक वाला दिल
पर मन पर संस्कारों की लगाम थी
टीस बदन की उठी जो बेनाम थी
छुपा कर अश्क सबसे हंसता था
अमिट शिव छवि संग रहता था
फिर भी हद मोड़ने को आतुर था
कौन ………………………………?
वोह ९० के दशक वाला दिल
चल पड़ा हाथ थाम अंजान सफर
चुना जिसको बाबा ने ब्याह डगर
ना प्रतिरोध किया ना ही यह मचला
बिल्कुल इरादों का पक्का निकला
फिर भी जिद छोड़ने को आतुर था
कौन ………………………………?
आज़ तक हम सबके दिलों में
कहीं न कहीं उसका एक कोना है
खोये सपने खोया कोई बिछोना है
याद आता भी वोह ही सलोना है
फिर भी खिलखिला कर हंसता है
कौन ………………………………?
अरे वही ९० के दशक …………….।
………….. वोह नज़र ……………
……………दक्षा शिवी……