मौनी अमावस्या
आज का दिन मौन रहकर आत्मचिंतन करने का दिन है। शायद अपने अंदर झांक कर खुद को खोजने का दिन है। अपनी जिंदगी के हिसाब किताब ठीक करने का भी दिन है।
इस प्रक्रिया में जो पंक्तियां मन में आई वे प्रस्तुत हैं।
“जीने की ऐसी क्या मजबूरी है
तुम्हारा होना क्यों जरूरी है।
क्यों जरूरी है कुछ करना
और कुछ करने के बाद
उम्मीद करना कि कुछ होगा,
क्यों उम्मीदों की आस
जिंदगी की धुरी है,
जीने की ऐसी क्या मजबूरी है।
क्यों जरूरी है कोशिश करना
कुछ पाने की
और उस कोशिश के फेर में
खोते जाना अपने आपको
क्यों कुछ पाए बिना जिंदगी अधूरी है,
जीने की ऐसी क्या मजबूरी है।
क्यों जरूरी है अपने होने का
अहसास देते रहना
और न होने पर खोजने की
कोशिश करने का स्वांग रचना
क्यों होने और न होने के बीच
बस इतनी ही दूरी है,
जीने की ऐसी क्या मजबूरी है।”
सच्चिदानंद जोशी
मौनी अमावस्या
29 जनवरी 2025
नोट: साथ में दिए चित्र श्री सुब्रत पॉल के शिल्पों के हैं।