बादलों के पार

ज़िन्दगी बेवफ़ा होगी, नया सफ़र शुरू होगा,
मर के भी हमको कभी शिकवा ना होगा।
इस जहां से ज़्यादा ख़ूबसूरत वो जहां होगा,
जहाँ फ़रिश्तें मिलेंगे और सिर्फ़ प्यार होगा।
नीले बादलों के बीच एक सूरज प्यारा होगा,
रोशनी के समंदर में कभी अंधेरा ना होगा।
कोई हो ना हो पर नफ़रत का ज़हर तो ना होगा,
साथ मेरे वहाँ पे सितारों का कारवां होगा।
कोई तकलीफ़ ना होगी ना ग़म वहाँ होगा,
धर्म के नाम पे कत्लेआम ना वहाँ होगा।
सिरफिरों का वहाँ पे कोई मज़हब ना होगा,
सबके लिए बराबर प्रभु का आशीर्वाद वहाँ होगा।
©️डॉ. मल्लिका त्रिपाठी