ग़ज़ल
मौला मुझको घर जाना है माई रस्ता देखे है
छत, पनियारा, ओसारा, अँगनाई रस्ता देखे है
पिछली बार कहा था बेटा इक दिन वीडियो कॉल तो कर
शक्ल दिखा दे, आँखों की बीनाई रस्ता देखे है
भाई की आँखों में दिखती हैं अब कुछ-कुछ चिंताएँ
उन आँखों में पापा की परछाई रस्ता देखे है
अबकि दफ़ा तो बड़की अम्मा ने भी ख़बर ली बेटे की
यानी अब तो इस बेटे का ताई रस्ता देखे है
मेरे घर में बिलकुल मेरे जैसा एक भतीजा है
इस छोटे का वह छोटी परछाई रस्ता देखे है
पूछा करता है रे तू कब आएगा, कब आएगा
दोस्त सरीखा मेरा प्यारा भाई रस्ता देखे है
मुश्किल का ये दौर भी आख़िर कट ही जाएगा ‘अनमोल’
तेरी तरह ही हर इक बेटा-भाई रस्ता देखे है
– के. पी. अनमोल