लिबास-!
तुम मेरे इस लिबास पर
मत जाना
शायद तुम मेरे
इस लिबास में छुपी निश्छलता को
समझ न पाओगे
मेरे लिबास में छुपा
एक सामान्य जीवन
और इस समन्दर के उद्गार को
शायद तुम समझ न पाओगे
एक हीरे की परख
सिर्फ एक जौहरी को ही
हो सकती है।
यहां तो लोग बिना समझे
बिना भांपे
परिहास का पर्याय
बना लेते हैं
तुम मेरे लिबास पर
मत जाना।
मैं किसी की भावनाओं में।
या किसी गहन साधना में
मग्न होकर लोगों को।
क्यूं दिखाऊं
मैं अपनी इस विद्वत्ता का साक्ष्य
लोगों के सानिध्य बेवजह
क्यूं दिखाऊंँ।
तुम मेरे इस लिबास पर
मत जाना
(शरद कुमार पाठक)